इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गलत वेतन निर्धारण के कारण सेवानिवृत्त पुलिसकर्मी से वसूली गई छह लाख 53 हजार 869 रुपये की तीन माह में वापसी के एकल पीठ के आदेश को सही मानते हुए मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर एवं न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव की खंडपीठ ने दिया है। साथ ही एकल पीठ के आदेश के खिलाफ राज्य सरकार की विशेष अपील खारिज कर दी है। एकल पीठ ने आजमगढ़ पीएसी से रिटायर पुलिसकर्मी जय प्रकाश सिंह के सेवानिवृत्ति परिलाभों से की गई कटौती राशि तीन माह में वापस करने और पालन न करने पर छह फीसदी ब्याज देने का निर्देश दिया था, जिसे सरकार ने अपील में चुनौती दी थी। राज्य सरकार का कहना था कि याची 1999 में प्रथम प्रोन्नति वेतनमान पाने का हकदार नहीं था लेकिन वह अधिक वेतन प्राप्त करता रहा। सेवानिवृत्ति परिलाभों की गणना के समय इसका खुलासा हुआ, जिस पर गलत ढंग से ली गई राशि की कटौती की गई है।
हाईकोर्ट ने रफीक मसीह केस में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के हवाले से कहा कि विभाग अपनी गलती का दोष कर्मचारी पर नहीं थोप सकता। गलत वेतन निर्धारण कर बाद में वसूली गलत है। खंडपीठ ने इसी निर्णय की पुष्टि की है।