सहायक अध्यापकों के अंतर्जनपदीय स्थानांतरण के मामले में हाईकोर्ट के आदेश की अवमानना करने पर बेसिक शिक्षा परिषद सचिव प्रताप सिंह बघेल बुधवार को जेल जाते-जाते बच गए। कोर्ट के कई बार के आदेश के बावजूद सचिव ने शिक्षिकाओं के स्थानांतरण का आवेदन रद्द किया। हाईकोर्ट ने इसचिव को तलब किया था। परिषद सचिव बुधवार को जब कोर्ट में हाजिर हुए, तब भी उन्होंने कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया था। मामले की सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति सरल श्रीवास्तव ने सख्त रुख अपनाया। कहा कि शिक्षिका का बेटा बीमार है ऐसे में अधिकारी मानवीय संवेदना का परिचय देने की बजाय अड़ियल रुख अपनाए हुए हैं। साथ ही कोर्ट के आदेश की अवमानना भी कर रहे हैं। कोर्ट ने सचिव को चेतावनी दी कि अगर आदेश का पालन नहीं करते हैं तो उन्हें यहीं से (न्यायालय) जेल भेज दिया जाएगा। यहां तक कि कोर्ट ने सचिव को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस बुलाने तक को कह दिया। कोर्ट के सख्त रुख को देखते हुए अधिवक्ता अर्चना सिंह ने सचिव की ओर से कोर्ट से अनुरोध किया कि कुछ समय की मोहलत दी जाए। इस पर कोर्ट ने कहा कि वह अदालत उठने के बाद अपने चैंबर में इस मामले को सुनेंगे और सचिव भी वहां मौजूद रहेंगे। इसके बाद शाम को जब चैंबर में अदालत बैठी तो सचिव ने आदेश का अनुपालन करते हुए दोनों शिक्षिकाओं के स्थानांतरण का आदेश उनके अधिवक्ता नवीन कुमार शर्मा को सौंप दिया। आदेश का अनुपालन हो जाने पर कोर्ट ने अवमानना याचिका निस्तारित कर दी। इससे पूर्व हाईकोर्ट ने शिक्षिकाओं के अंतर्जनपदीय स्थानांतरण की अर्जी खारिज करने के सचिव के आदेश को रद्द कर दिया था।
प्रयागराज में कार्यरत शिक्षिका रुखसार मरियम रिजवी और सोनभद्र की शिक्षिका शोभा देवी ने अंतर्जनपदीय स्थानांतरण के लिए आवेदन किया था। मरियम ने लखनऊ के लिए जबकि शोभा देवी ने चित्रकूट के लिए स्थानांतरण की मांग की थी। दोनों शिक्षिकाओं ने आधार लिया था कि उनके बच्चे बीमार हैं, जिनकी देखभाल के लिए उनका स्थानांतरण किया जाना जरूरी है। सचिव ने उनका आवेदन निरस्त कर दिया। सचिव के इस आदेश को हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर चुनौती दी गई।
हाईकोर्ट ने सचिव द्वारा आवेदन निरस्त करने के लिए लिए गए आधार को अनुचित मानते हुए उनका आदेश रद्द कर दिया और शिक्षिकाओं के आवेदन पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करते हुए नए सिरे से आदेश करने के लिए कहा। स्पष्ट आदेश के बावजूद सचिव ने शिक्षिकाओं का आवेदन दोबारा रद्द कर दिया। जिस पर अवमानना याचिका दाखिल की गई। कोर्ट ने सचिव को एक और अवसर दिया लेकिन इसके बाद भी उन्होंने स्थानांतरण का आवेदन रद्द कर दिया। इसके बाद कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया तब जाकर सचिव ने आदेश का पालन किया।