वाराणसी : बेसिक स्कूलों में नए सत्र की शुरुआत अप्रैल के प्रथम सप्ताह से होगी, लेकिन विभाग ने अपनी पुरानी व्यवस्था में जरा भी सुधार नहीं किया। इसके चलते बच्चों को नए सत्र में पुरानी किताबों से ही पढ़ाई करनी होगी। यह भी संभव है कि बच्चों को किताबों के बिना ही कई माह बिताने पड़े। बीते साल भी कई परिषदीय स्कूल में एक ही किताब से दो से तीन बच्चों को पढ़ाई करनी पड़ी थी। बेसिक शिक्षा विभाग की लापरवाही के चलते परिषदीय स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को हर साल इस परेशानी से दो-चार होना पड़ रहा है।
नया सत्र शुरू होने में 20 दिन बचे हैं, लेकिन विद्यार्थियों को निशुल्क पाठ्यपुस्तकें वितरित कराने की तैयारी अभी तक शुरू नहीं की गई है। ऐसे में विद्यार्थियों को अप्रैल में पाठ्य पुस्तकों का वितरण संभव नहीं लग रहा है। वर्तमान शैक्षिक सत्र में कई विद्यार्थियों को यूनिफार्म, जूता- मोजा, स्कूल बैग और स्वेटर की राशि अब तक नहीं मिली है। नए सत्र में बच्चों को ये सामग्री खरीद कर वितरित की जाएगी या डीबीटी से दी जाएगी, इस पर भी अभी निर्णय नहीं हुआ है। परिषदीय विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों को शासन की ओर से निशुल्क पाठ्यपुस्तकों का वितरण किया जाता है। पहली कक्षा में ही एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम लागू किया जाना है। वहीं, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत भी पाठ्यक्रम का निर्धारण होना है। लेकिन शासन स्तर से पाठ्यपुस्तकों के प्रकाशन को लेकर अभी तक टेंडर प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है। इसे पूरा करने में करीब एक महीने से अधिक का समय लगेगा। जिस भी फर्म को टेंडर मिलेगा, उसे पुस्तक प्रकाशित कर वितरण के लिए दो महीने का समय देना होगा। ऐसे में मई जून तक ही स्कूलों में किताबें पहुंच सकेंगी।
बच्चों की किताबें शासन स्तर से ही आती हैं, इसको लेकर शासन की ओर से अभी तक कोई दिशानिर्देश नहीं आए हैं। जब तक किताबें नहीं आती हैं, बच्चों को दीक्षा के जरिये पढ़ाया जाएगा। – राकेश सिंह, बीएसए