इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि जीएसटी कानून में क्षेत्राधिकार के अंतर्गत आने वाले अधिकारी केन्द्र व राज्य दोनों के उचित अधिकारी होंगे। यदि कोई कंपनी केंद्र सरकार की जीएसटी में पंजीकृत हैं और राज्य सरकार के जीएसटी अधिकारी कारण बताओ नोटिस जारी कर असेसमेंट आदेश करता है तो कंपनी को उसी समय अधिकार क्षेत्र की आपत्ति करनी चाहिए। यदि कंपनी ने कारण बताओ नोटिस का जवाब दिया हो और असेस्मेंट आदेश जारी किया गया है तो हाईकोर्ट में क्षेत्राधिकार की आपत्ति करना उचित नहीं होगा।
यह आदेश न्यायमूर्ति एसपी केसरवानी एवं न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी की खंडपीठ ने लुब्रिकेंट व्यवसायी अजय वर्मा की याचिका पर दिया है। इसी के साथ कोर्ट ने उप आयुक्त राज्य जीएसटी सहारनपुर की कार्यवाही को क्षेत्राधिकार से बाधित नहीं मानते हुए कारण बताओ नोटिस जारी करने की अधिकारिता के खिलाफ दाखिल याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा कि याची चाहे तो असेसमेंट आदेश के खिलाफ नियमानुसार धारा 107 में अपील दाखिल कर सकता है।
याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता शंभू चोपड़ा, राज्य सरकार के अधिवक्ता बीपी सिंह कछवाह व केंद्र सरकार के अधिवक्ता कृष्णजी शुक्ल ने बहस की। याची का कहना था कि वह केंद्रीय जीएसटी विभाग में पंजीकृत है इसलिए उसके खिलाफ कार्रवाई केंद्र सरकार के अधिकारिता वाले अधिकारी ही कर सकते हैं। राज्य जीएसटी विभाग के उप आयुक्त को कारण बताओ नोटिस जारी करने का क्षेत्राधिकार नहीं है। ऐसे में कार्यवाही रद्द की जाए।
सरकार की ओर से कहा गया कि धारा 6(२)(बी) के अनुसार जब केंद्रीय अधिकारी ने कार्यवाही शुरू की हो तो राज्य के अधिकारी कार्यवाही नहीं करेंगे। मामले में राज्य सरकार के अधिकारी के कार्यवाही शुरू करने के कारण केंद्र सरकार के अधिकारी ने कार्यवाही पूरी करने की छूट दी है। ऐसा इसलिए है कि दो कार्यवाहियों में टकराव न हो।दोनों ही अधिकारियों को कार्यवाही करने का अधिकार है। सुनवाई के बाद कोर्ट ने कहा कि याची को शुरू में ही बताना चाहिए था कि वह केंद्र में पंजीकृत है। उसी को कार्यवाही का अधिकार है। लेकिन ऐसा नहीं किया गया।आदेश होने के बाद अधिकार क्षेत्र पर सवाल उठाना सही नहीं है। यह नहीं कहा जा सकता कि उप आयुक्त जीएसटी सहारनपुर को क्षेत्राधिकार नहीं है। इसी के साथ कोर्ट ने मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया।