आम आदमी पर लंबे समय में पड़ेगा असर
कीमतों में बढ़ोतरी का असर अंत में आम आदमी पर ही पड़ेगा। केडिया एडवाइजरी के प्रबंध निदेशक अजय केडिया कहते हैं कि थोक खरीदारों के लिए माल-ढुलाई सबसे ज्यादा प्रभावित होगी। इससे वस्तुओं की कीमतें बढ़ेंगी, जिसका सीधा असर आम आदमी पर पड़ेगा। महंगाई दर में भी बढ़ोतरी होगी। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतें दो से तीन महीने उच्च स्तर पर बनी रहने का अनुमान है। ऐसे में घरेलू स्तर पर ऊंची कीमतों से राहत के आसार नहीं हैं।
नई दिल्ली, एजेंसी। तेल कंपनियों ने थोक उपभोक्ताओं के लिए डीजल की कीमतों में एकमुश्त 25 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की है। सभी कर मिलाकर अंतरिम बढ़ोतरी 28 रुपये के करीब होगी। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल के दामोंमें 40 प्रतिशत तक उछाल के बाद यह निर्णय लिया गया है। हालांकि, पेट्रोल पंपों पर बेचे जाने वाले डीजल की खुदरा कीमतों में बदलाव नहीं हुआ है।
संभवत: यह पहला मौका है जब डीजल या पेट्रोल के दामोंमें एकमुश्त इतनी वृद्धि की गई है। जानकारों का कहना है कि डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी के साथ महंगाई बढ़ना तय है।
इसलिए बढ़ रहे दाम: खुदरा कीमतों में बढ़ोतरी की आशंका के बीच मार्च के पहले 15 दिनों में पेट्रोल-डीजल की जमकर बिक्री हुई। इसका कारण यह है कि बस बेड़े के परिचालक और मॉल जैसे थोक उपभोक्ता पेट्रोल पंपों से ईंधन खरीद रहे हैं। आमतौर पर वे कंपनियों से सीधे ईंधन खरीदते थे। ऐसे में तेल कंपनियों का नुकसान बढ़ा है।
पांच माह से नहीं बढ़े दाम: सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों ने चार नवंबर 2021 र्से ईंधन के दाम नहीं बढ़ाए हैं। हालांकि, इस दौरान वैश्विक स्तर पर कीमतों में उछाल आया है।
15 दिनों में 32 फीसदी बढ़ी बिक्री: खुदरा कीमतों में वृद्धि की आशंका के बीच मार्च के पहले 15 दिनों में पेट्रोल-डीजल की जमकर बिक्री हुई। सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों ने 3.53 मिलियन टन डीजल बेचा है।