बरेली : मन में कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो संसाधनों की कमी कोई मायने नहीं रखती। राजकीय हाई स्कूल ताल गौटिया के हेड मास्टर डॉ सुभाष चंद्र मौर्या ने इस बात को साबित किया है। उन्होंने जिद, जज्बे और जुनून से एक सरकारी स्कूल की छवि बदल कर रख दी।
सत्र 2016-17 में राजकीय हाई स्कूल ताल गौटिया की स्थापना हुई थी। पहले वर्ष स्कूल में नौ छात्र थे। उस वर्ष सुभाष स्कूल के इकलौते कर्मचारी थे। स्कूल का ताला खोलने से लेकर बच्चों को पढ़ाने व प्रशासनिक व्यवस्था देखने तक सारा कार्य उन्हीं के जिम्मे था। सभी विषयों को सुभाष अकेले ही पढ़ाते थे। 2017-18 में छात्र संख्या 35 हो गई। इस वर्ष हाईस्कूल में उनके 78 फीसदी छात्र पास हुए थे। 500 की आबादी वाले गांव में पढ़ाई के प्रति लोगों को नजरिया सकारात्मक नहीं था। सुभाष ने लोगों से लगातार बातचीत कर उन्हें शिक्षा का महत्व समझाया। 2018-19 में छात्रों की संख्या बढ़कर 63 हो गई। स्कूल को दो और शिक्षक मिले। तब रिजल्ट बढ़कर 91 फीसदी हो गया। सेशन 2019-20 में 79 और 2020-21 में 94 छात्र हो गए। सेशन 2021-22 में छात्र संख्या बढ़कर 157 हो गई।
अधिकारियों से संवाद ने बदला बच्चों को
सुभाष ने बच्चों को सिर्फ पढ़ाई तक ही सीमित नहीं रखा। उन्हें मिशन शक्ति, स्टूडेंट पुलिस कैडेट योजना, राइजिंग स्टार आदि से जोड़ा। उन्होंने छात्रों को बरेली लाकर उनका आला अधिकारियों के साथ संवाद करवाया। इससे छात्र-छात्राओं में आत्मविश्वास की वृद्धि हुई। उन्होंने स्कूल की विवरणिका भी निकाली।
परीक्षा से चर्चा में शामिल हुए स्कूल के बच्चे
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ परीक्षा पर चर्चा के लिए देश भर से छात्रों के आवेदन मांगे गए थे। इस चर्चा में अधिकतर केंद्रीय विद्यालयों और निजी स्कूलों के छात्र ही शामिल होते हैं। पिछले वर्ष राजकीय हाई स्कूल ताल गौटिया के छात्रों दिनेश कुमार और योगेश के चयन ने सभी को चौंका दिया। पूरा विभाग इन छात्रों पर गर्व कर रहा है।
छात्र ही करते हैं पौधों की देखभाल
सुभाष ने स्कूल के भौतिक परिवेश पर भी पूरा ध्यान दिया। स्कूल में बच्चों से पौधरोपण कराया गया। बच्चों को ही पौधों की जिम्मेदारी दी गई। स्कूल के सामने एक बड़ा गड्ढा था। इसमें अक्सर कोई ना कोई गाड़ी फंस जाती थी। एक दिन एक छात्र उस में गिर कर घायल हो गया। अगले ही दिन उन्होंने अपने प्रयास से ईटों की एक ट्राली मंगवा कर रोड का निर्माण करवाया।