फर्रुखाबाद कोरोना काल में भले ही शिक्षा की गाड़ी पटरी से उतरी हो, लेकिन कई शिक्षकों ने इसे और बेहतर रास्ता देने का प्रयास किया किसी ने बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाने के लिए मोहल्लों में प्रेरणा साथी तैयार किए तो किसी ने कंप्यूटर शिक्षा के संसाधन एकत्र कर लिए स्कूल खुलने पर कुछ शिक्षिकाओं ने तो लीक से हटकर बच्चों को शिक्षा के साथ डांस सिखाने लिए म्यूजिक सिस्टम लगाकर कान्वेंट स्कूल से भी आगे निकलने का प्रयास किया है।
शिक्षा के मंदिर को सजाने के लिए पुजारी में लगन होना जरूरी है। ऐसा ही कोरोना काल में स्कूल बंद होने पर कुछ शिक्षकों में देखने को मिला। कर्पोजिट उच्च प्राथमिक विद्यालय फतेहगढ़ की प्रधानाध्यापक नीरज चौहान ने कोरोना काल में बच्चों को
ऑनलाइन पढ़ाई शुरू की। इसमें गरीब अभिभावकों के बच्चों के सामने स्मार्ट फोन की समस्या आई। इस पर नीरज ने मोहल्लों में जाकर स्मार्टफोन धारक युवाओं से सहयोग मांगा और उन्हें प्रेरणा साथी बनाया।
यह प्रेरणा साथी उन बच्चों को अपने मोबाइल से ऑनलाइन पढ़ाई कराने में सहयोगी साबित हुए। स्कूल खुलने पर वह स्पीकर से गिनती व ए-बी-सी-डी सिखाती रहीं। यहाँ ब्लक राजेपुर के प्राथमिक विद्यालय कुसुमापुर में प्रभारी प्रधानाध्यापक शिवम दीक्षित ने बच्चों को तकनीकी शिक्षा देने के लिए कंप्यूटर कक्ष ही बना दिया। इसमें एलईडी के माध्यम से हिंदी व अंग्रेजी भाषा का ज्ञान दे रहे हैं। इसी स्कूल की शिक्षिका प्रेमलता यादव प्रत्येक शनिवार छात्राओं को डांस तो खुशबू चौहान अन्य गतिविधियां सिखाती हैं। वहीं प्राथमिक विद्यालय नगला खेम रँगाई की। शिक्षिका बंदना ने अपने पास से खर्च कर स्कूल में कंप्यूटर लगवाए। उनसे बच्चों को कंप्यूटर शिक्षा दे रही हैं।