नई दिल्ली: आरक्षण के बाद भी अब तक इसके लाभ से वंचित ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) की अधिकांश जातियों को अब उनका हक मिल सकेगा। केंद्र सरकार की ओर से जस्टिस जी. रोहणी की अगुआई में गठित आयोग ने ओबीसी जातियों के उप-वर्गीकरण का काम पूरा कर लिया है। इससे जुड़ी एक प्रारंभिक रिपोर्ट मार्च के अंत तक केंद्र को सौंपने के संकेत दिए हैं और बाकी कामों को भी 31 मार्च, 2022 से पहले पूरा करने का लक्ष्य रखा है।
आयोग ने यह तेजी तब दिखाई है, जब सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रलय ने साफ कह दिया है कि अब उसका कार्यकाल और नहीं बढ़ेगा। वैसे भी आयोग का कार्यकाल अब तक करीब दर्जनभर बार बढ़ाया जा चुका है। आयोग का गठन अक्टूबर, 2017 में हुआ था। तभी से आयोग इस काम में मुस्तैदी से जुटा हुआ है। हालांकि कोविड के चलते आयोग का कामकाज भी ठप हुआ था। जिसके बाद आयोग ने उप-वर्गीकरण का काम पूरा करने के लिए सरकार से और समय मांगा था। इसके बाद सरकार ने आयोग का कार्यकाल 31 जुलाई, 2022 तक बढ़ा दिया था। आयोग के पास ओबीसी उप-वर्गीकरण के साथ ही ओबीसी की जातियों के नाम ठीक करने का भी जिम्मा है।
ओबीसी की सभी जातियों को चार श्रेणियों में बांटने का प्रस्ताव
आयोग से जुड़े एक वरिष्ठ सदस्य के मुताबिक, लंबे अध्ययन और कई राज्यों में ओबीसी जातियों के बीच पहले हो चुके वर्गीकरण को परखने के बाद केंद्रीय स्तर पर एक फामरूले को तैयार किया गया है। यदि इसे लागू किया गया तो केंद्रीय नौकरियों और केंद्रीय शिक्षण संस्थानों में ओबीसी की सभी जातियों को लाभ मिलेगा। यह फामरूला आरक्षण का सबसे ज्यादा लाभ उठाने वाली ओबीसी की जातियों और उनकी आबादी के आधार पर ही तय किया गया है। इसके तहत ओबीसी की सभी जातियों को चार श्रेणियों में बांटने का प्रस्ताव है। साथ ही इन्हें दो, छह, नौ और 10 प्रतिशत आरक्षण देने की योजना भी बनाई है। यह प्रस्ताव पूरी तरह वैज्ञानिक आधार पर तैयार किया गया है। आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में पहले से ही ओबीसी जातियों की चार श्रेणियां हैं। मालूम हो कि देश में मौजूदा समय में ओबीसी की 2,600 से ज्यादा जातियां हैं। अध्ययन में पाया गया है कि इनमें से करीब एक हजार ऐसी जातियां हैं, जिन्होंने ओबीसी आरक्षण का अभी तक लाभ उठाया है। बाकी 1,600 जातियां इससे वंचित ही रही हैं। ओबीसी को नौकरी और शैक्षणिक संस्थानों के दाखिले में 27 प्रतिशत का आरक्षण हासिल है।