मनमाने शुल्क से अभिभावक परेशान, प्रवेश के लिए निजी विद्यालयों में भागदौड़ शुरू
मिर्जापुर। एक अप्रैल से विद्यालयों में नया शिक्षण सत्र शुरू हो जाएगा इससे जिले के निजी विद्यालयों में प्रवेश को लेकर अभिभावकों को भागदौड़ शुरू हो गई हैं। हालांकि निजी विद्यालयों में गरीब वर्ग के प्रवेश के लिए सरकार ने आरटीई की व्यवस्था की है लेकिन उसका लाभ कम लोगों को ही मिल पाता है। वहीं हर विद्यालयों में अलग-अलग फीस होने से अभिभावक परेशान हैं। उनका कहना है कि सरकार को निजी विद्यालयों में भी फीस निर्धारित करनी चाहिए।
जिले में यूपी बोर्ड के करीय 200 से अधिक माध्यमिक विद्यालय है। इसी प्रकार बेसिक शिक्षा परिषद के 1806 प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालय संचालित हैं। वहीं लगभग 24 की संख्या में सीबीएससी व आईसीएसई बोर्ड के विद्यालय संचालित हैं। सरकारी विद्यालयों में तो प्रवेश नियमित हो जाता लेकिन निजी विद्यालयों में प्रवेश को लेकर हर वर्ष मारामारी होती है। विशेषकर सीबीएसई और आईसीएसई बोर्ड के विद्यालयों में परेशानी होती है। इससे सबसे अधिक परेशानी फीस की मांग को लेकर होती है। शुल्क का कोई
निर्धारित ढांचा ना होने के कारण अभिभावक समझ नहीं पाता कि जो फीस मांगी जा रही है। वह उचित है या नहीं। विद्यालय भी इस संबंध में कुछ लिखकर देने को तैयार नहीं होते कहीं 20000 तो कहीं 25000 रुपये का प्रवेश शुल्क लिया जाता है। कम से कम 10000 के नीचे तो किसी विद्यालय की फीस नहीं है। प्रवेश के समय इस प्रकार की तोलमोल प्रतिवर्ष होती है। अभिभावक बच्चों की जिद और पढ़ाई को लेकर प्रायः स्थितियों से समझौता कर लेता है लेकिन कुछ अभिभावक अपने मेधावी बच्चों के पढ़ाई के लिए उनको उचित विद्यालय नहीं दिला पाते। ऐसे मेघावी छात्रों की प्रतिभा को नुकसान पहुंचता है। अभिभावकों का कहना है कि सरकार को निजी विद्यालयों के लिए एक निर्धारित शुल्क ढांचा तैयार करना चाहिए कि अभिभावक भी बिना किसी संदेह के शुल्क का भुगतान कर सके।
इस संबंध में शासनादेश के तहत एक कमेटी बनाई गई है। यदि अभिभावककोई शिकायत करता है तो उसको जो कर कार्रवाई की जाती है। अभी तक कोई शिक नहीं आई है। सत्येंद्र कुमार सिंह, जिला विद्यालय निरीक्षक