मिर्जापुर। परिषदीय विद्यालयों में मध्याहन भोजन बनाने वाली रसोइयों से भोजन बनाने के साथ ही विद्यालयों में सफाई भी कराई जाती है। जिले के सिटी, पहाड़ी, मझवा कोन, सौखड़, जमालपुर, नरायनपुर, राजगढ़, पटेहरा, लालगंज, हलिया और छानबे विकास खंड को मिलाकर जिले में कुल 5600 की संख्या में प्राथमिक एवं पूर्व माध्यमिक विद्यालयों में महिला रसोइयों को तैनात किया गया है। विद्यालयों में झाडू लगाने के दौरान रसोइयों के कपड़े भी गंदे हो जाते हैं। अब ऐसे में किस तरह भोजन में सफाई की उम्मीद की जा सकती है। विद्यालयों पर सफाईकमी यदि दिखते भी हैं तो उनसे विद्यालय में सफाई से कोई मतलब हो नहीं रसोइयों में झाडू आदि लगवाए जाने के बाबत पूछे जाने पर अध्यापक और अध्यापिकाओं ने पल्ला झाड़ लिया। अधिकारी भी इस मामले में चुप्पी साधे हुए हैं। रसाइयों को मानदेय के नाम पर मनरेगा श्रमिकों से भी कम मजदूरी दी जाती है। मनरेगा अमिको को जहां 204 रुपया मजदूरी दी जाती है वहीं रसोइयों को महज 50 रुपया प्रतिदिन के हिसाब से मानदेय दिया जाता है।
विद्यालय में जिम्मेदारी के हिसाब से मानदेय नहीं दिया जा रहा है। पहले मात्र एक हजार रुपये महिने दिए जाते थे। अब 2150 रुपये कर दिए गए है। इतने कम पैसे से परिवार का गुजर असर नहीं हो पा रहा है।
फुलमनी देवी
विद्यालय में सफाईकमी तैनात है लेकिन उनसे विद्यालय की साफ-सफाई नहीं कराई जाती है। न चाहते हुए भी यह जिम्मेदारी विद्यालय की ओर से न कराया जाता है
पनपत्ति देवी
मनरेगा की मजदूरी 204 है। जबकि हम सब को एक माह का मानदेय 1500 सी रुपया मिलता है. यह भी मिलने में तीन से चार का समय लग जाता है।
शैला देवी
एक वर्ष में 10 माह ही काम मिलता है। जब कि सुबह से विद्यालय में पांच घंटे से भी अधिक कार्य करना पड़ता है। उसके हिसाब से ऐसा नहीं मिलता है ऊपर से काम के लिए जी हजूरी करनी पड़ती है।
अनिता देवी
सुबह विद्यालय पहुंचकर लगाने और भोजन बनाने व बर्तन साफ करने में 3 बज जाता है। जिससे अन्य कोई दूसरा कार्य नही कर पाती ऐसे में 50 रुपया प्रतिदिन मिलने वाले मानदेय से परिवार का भरण पोषण करना मुश्किल हो गया है।
अमरावती देवी
के लिए भोजन बनाना जिम्मेदारी वाला कार्य है। भोजन बनाने और साफ सफाई के हिसाब से काफी कम मजदूरी मिल रही है। सरकार को इस तरफ ध्यान देना चाहिए।