प्रदेश के राजकीय व सहायता प्राप्त डिग्री कॉलेजों में एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत शिक्षकों को प्रोफेसर पद पर प्रोन्नत करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। शासन के आदेश पर चयन समिति के अध्यक्ष नामित कर दिए गए हैं।
डिग्री कॉलेजों में भी प्रोफेसर पदनाम देने के शासनादेश के बाद पहली बार यह प्रक्रिया शुरू हुई है। इससे पहले केवल प्राचार्यों को ही प्रोफेसर पदनाम दिया गया था। अब कॅरियर एडवांसमेंट योजना के तहत एसोसिएट प्रोफेसर (एकेडमिक लेवल 13 ए) से प्रोफेसर (एकेडमिक लेवल 14) में प्रोन्नति के लिए महाविद्यालय स्तर पर चयन समिति का गठन करने के निर्देश दिए गए हैं। राजकीय महाविद्यालयों के लिए संबंधित क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारियों को चयन समिति का अध्यक्ष नामित किया गया है। शासन के आदेश पर शिक्षा निदेशक (उच्च शिक्षा) डॉ. अमित भारद्वाज ने इस संबंध में आदेश जारी किया गया है। चयन समिति अर्ह पाए जाने वाले शिक्षकों की सूची अपनी स्पष्ट संस्तुति के साथ शासन को भेजेगी।
सहायता प्राप्त महाविद्यालयों के लिए भी चयन समिति का गठन किया गया है। प्रोन्नति के लिए आवेदन करने वाले शिक्षकों को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की शर्तें पूरी करनी होंगी, जो एकेडमिक परफार्मेंस इंडीकेटर्स (एपीआई) में दी गई हैं। आवेदक को प्रोन्नति के लिए आवश्यक एपीआई अंक हासिल करने होंगे, जिसमें विशिष्ट योग्यताओं अलग-अलग अंक निर्धारित हैं।
प्रक्रिया पर विरोध जता रहे शिक्षक संगठन
डिग्री कॉलेजों के शिक्षक संगठन प्रोन्नति से संबंधित शासनादेश में लगाई गई शर्तों का विरोध कर रहे हैं। उनकी सबसे बड़ी आपत्ति अर्हता तिथि को लेकर है। प्रोफेसर पदनाम वर्ष 2021 में शासनादेश जारी होने की तिथि से दिया जाएगा, जबकि बहुत से शिक्षक वर्षों पहले से प्रोन्नति के लिए अर्ह हैं। लखनऊ विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (लुआक्टा) इस पर पहले ही अपना विरोध दर्ज करा चुका है। लुआक्टा के अध्यक्ष डॉ. मनोज पांडेय कहते हैं कि कॉलेजों में प्रोफेसर पद पर प्रोन्नति की शर्तें विश्वविद्यालयों से भी ज्यादा कड़ी कर दी गई हैं।