गाजीपुर।
परिषदीय विद्यालयों में संसाधन जुटाने को लेकर शासन की ओर से 2021-22 की बजट बेसिक शिक्षा विभाग में भेजा गया। जिसके बाद विभाग की ओर से 2269 परिषदीय विद्यालयों के खाते में भेज दिया गया है। इसमें शासन से नौ करोड़ आठ लाख 12 लाख पचास रूपया की धनराशि आवंटित हुई थी। इसमें पहली किस्त में चार करोड़ भेजी गयी थी। यह नामांकित छात्रों की संख्या के आधार पर धनराशि दी गई है। वर्ष 2018 से यह बजट दिया जा रहा है, लेकिन तमाम विद्यालयों में इसका दुरुपयोग हुआ है। चुनाव बाद इसकी जांच भी कराई जा सकती है।
बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों की दशा सुधारने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। परिषदीय विद्यालयों को कांवेंट की तर्ज पर बनाने के लिए वर्ष 2018-2019 से सभी प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक विद्यालयों को नामांकित बच्चों की संख्या के आधार पर कंपोजिट ग्रांट के तहत धनराशि दी जा रही है। किसी विद्यालय में 100 छात्र-छात्राएं नामांकित हैं तो उस विद्यालय को 25 हजार रुपये की धनराशि कंपोजिट ग्रांट के तहत मिलती है। यदि कहीं पर 200 बच्चे नामांकित है, तो उन विद्यालयों को 50 हजार रूपया की धनराशि दी जाती है। इसी तरह छात्रों की संख्या के बढ़ती जाती है, उसके हिसाब धनराशि बढ़ती जाती है। कंपोजिट ग्रांट के तहत विद्यालयों को दी जाने वाली धनराशि में 10 प्रतिशत स्वच्छता के कार्यों पर खर्च करने और बाकी धनराशि विद्यालयों में फर्नीचर, मेज कुर्सी सभी जरूरी सामान खरीदने में उपयोग किया जाता है। गाजीपुर के अधिकांश विद्यालयों में इसका सदुपयोग कर विद्यालय की दशा सुधार दी गई है। लेकिन वहीं कई ऐसे भी विद्यालयों में कागजी खानापूरी कर बजट को ठिकाने लगा दिया गया है। वहीं जिन विद्यालयों में पांच सौ से एक हजार तक के बीच बच्चों की संख्या है, उन विद्यालयों को तो कंपोजिट ग्रांट के तहत मोटी रकम मिल जाती है। कंपोजिट धनराशि का प्रयोग सहीं ढंग से नहीं कराने को लेकर शिकायत भी मिलती रहती है कि इसका दुरुपयोग भी किया जा रहा है।
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परिषदीय विद्यालयों में कंपोजिट ग्रांट की धनराशि भेज दी गयी है। चुनाव बाद सभी विद्यालयों में ग्रांट के तहत मिली धनराशि की जांच करायी जाएगी। वहीं पुरानें खरीदे गए सामान का मिलाना किया जाएगा। खरीदारी में कमी मिलने पर कार्रवाई की जाएगी।
हेंमत राव, बेसिक शिक्षा अधिकारी