कोरोना महामारी के कारण लॉकडाउन रहा, स्कूल भी बंद करने पड़े। जब खुले तो बच्चों को नए नियम और पाबंदियों का सामना करना पड़ा। बच्चों को संक्रमण से बचाने के लिए स्कूलों में नई व्यवस्थाएं की। 30 मिनट का पीरियड करने के साथ कक्षा में बच्चों की संख्या आधी कर दी। बाकी के बच्चों के लिए अलग कक्ष में व्यवस्था की गई है। मास्क, सैनिटाइजर के बिना प्रवेश पाबंद किया। नए नियमों को अपनाकर बच्चे पढ़ाई के साथ कोरोना से मुकाबला कर रहे हैं।
आगरा में नेशनल प्रोग्रेसिव स्कूल ऑफ एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. संजय तोमर ने बताया कि पहली बार ऐसी बीमारी से रूबरू हुए। सबसे बड़ी चुनौती बच्चों को स्कूल में सुरक्षित रखना था। सरकारी नियमों के अलावा स्कूल प्रबंधकों ने पुस्तकालय, कैंटीन और खेलकूद तक के लिए नियम बनाए। इनमें खासतौर से 40 मिनट के पीरियड को 30 मिनट का किया, इससे बच्चों पर पढ़ाई का दबाव न पड़े।
जिन कक्षाओं में बच्चों की संख्या अधिक थी, उनमें एक सीट पर एक छात्र का प्लान अपनाते हुए संख्या आधी की। हर स्कूल में हेल्प डेस्क नई व्यवस्था का हिस्सा बन गईं। लगभग यही नियम माध्यमिक शिक्षा और बेसिक शिक्षा विभाग के स्कूलों में भी अपनाई गईं।
कांउसिलिंग के लिए अलग से समय
प्रिल्यूड पब्लिक स्कूल के निदेशक और ऑल प्रोगेसिव स्कूल ऑफ एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. सुशील गुप्ता ने बताया कि स्कूल खुलने पर बच्चों की काउंसिलिंग पर जोर दिया। कई ऐसे बच्चे भी हैं, जिन्होंने अपनों को खोया। अतिरिक्त पीरियड लगाकर काउंसिलिंग की। इससे बच्चे सामान्य होने लगे और पढ़ाई ने गति पकड़ी।
30 मिनट का अतिरिक्त कक्षाएं कराई शुरू
सुमित राहुल मेमोरियल स्कूल के प्रधानाचार्य डॉ. रामानंद चौहान ने बताया कि इन दो वर्षों में कोरोना से पढ़ाई प्रभावित हुई। ऑनलाइन पढ़ाई हुई जरूर, लेकिन इतनी कारगर नहीं रही। ऐसे में स्कूल खुलने पर सभी छात्रों के लिए 30 मिनट की अतिरिक्त कक्षाएं शुरू कराईं। पढ़ाई का दबाव कम करने के लिए चरणबद्ध विषयों को पूरा कराया।
शैक्षणिक टूर -खेलकूद प्रतियोगिताएं रहीं बंद
सेंट एंड्रूज पब्लिक स्कूल के निदेशक डॉ. गिरधर शर्मा ने बताया कि कोरोना संक्रमण के कारण बच्चों के शैक्षणिक टूर और खेलकूद प्रतियोगिताएं दो साल से संचालित नहीं कराए जा रहे हैं। विद्यार्थी भी इस मजबूरी को समझ रहे हैं। इन दो वर्षाें में ये देखने को मिला कि बच्चों ने नए नियम अपनाए और अभिभावकों ने भी पूरा सहयोग दिया।
ये की गई व्यवस्था
मास्क की अनिवार्यता, नहीं है तो स्कूल ने उपलब्ध कराए।
हाथों को सैनिटाइज करते हुए थर्मल स्क्रीनिंग से तापमान मापा।
सामूहिक प्रार्थना बंद की, कक्षा में ही संचालन करना।
एक सीट पर एक छात्र, संख्या 50 फीसदी की।
पैन और पेंसिल को मुंह में नहीं देने पर सख्ती।
पुस्तक के पन्ने पलटने को जीभ से हाथ गीले पर रोक।
घर से लाए बोतल से पानी पीना।
भोजन से पहले हाथों को साफ करना।
एक-दूसरे के भोजन को साझा करने से बचना।
ये भी किए इंतजाम
कोविड हेल्प डेस्क हर स्कूल में बनी।
शिक्षक समेत स्टाफ की कोविड जांच कराई।
स्कूल में स्टाफ को टीकाकरण अनिवार्य किया।
तय उम्र में आने वाले बच्चों के टीकाकरण पर जोर।
जिले में स्कूलों की संख्या
2457: स्कूल बेसिक शिक्षा के
904: स्कूल यूपी बोर्ड के
140: स्कूल सीबीएसई के
12: स्कूल आईसीएसई बोर्ड