प्रयागराज। इंस्टीट्यूट आफ एडवांस्ड स्टडी इन एजुकेश व केयर इंडिया की ओर से संविलियन विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों की नेतृत्व क्षमता संवर्धन के लिए लखनऊ में इन दिनों प्रशिक्षण कार्यक्रम चल रहा है। इसमें शामिल होने के लिए प्रयागराज के प्रधानाध्यापक भी पहुंचे हैं। गुरुवार को संस्थान की प्राचार्य एवं अपर शिक्षा निदेशक ललिता प्रदीप ने प्रधानाध्यापकों से जिम्मेदारियों के समुचित निर्वहन का आग्रह किया। कहा कि देश के भविष्य के निर्माण की जो जिम्मेदारी मिली है उसे उत्साह के साथ निभाएं। इस मौके पर पठन-पाठन में हो रहे बदलाव को स्वीकारने व डायरी लेखन पर बल दिया गया।
शिक्षकों ने मिडडे मील व पोषाहार संबंधी विसंगतियों को इंगित किया
स्कूल आफ ओपन आइडियाज के संस्थापक डा. संजीव राय ने संविलियन विद्यालयों की विभिन्न समस्याओं और उनके समाधान पर प्रकाश डाला। इस दौरान शिक्षकों ने मिडडे मील एवं पोषाहार की मात्रा एवं गणना संबंधी विसंगतियों को उठाया। इसके अतिरिक्त प्रधानाध्यापकों के पद संबंधी प्रतिस्पर्धा, डीबीटी व अन्य शिक्षणेतर कार्यों में लगाए जाने संबंधी समस्याएं बताईं।
शिक्षा के डिजिटलीकरण का बताया गया महत्व
विषय विशेषज्ञों ने सकारात्मक सोच, समय प्रबंधन, कुशल प्रशासन को लेकर टिप्स दिए। शिक्षा के डिजिटलीकरण के महत्व को भी बताया गया। अध्यापकों को उपस्थिति व पढ़ाई के घंटों को बढ़ाने के लिए भी प्रेरित किया गया। कहा गया कि तीन आर सिद्धांत अर्थात रेगुलेटरी, रिवीजन, रिकार्ड्स पर गौर करें। विद्यालय और कक्षा का वातावरण भी बेहतर होना चाहिए। प्रशिक्षण कार्यक्रम में वंदना मिश्रा, अशोक नाथ तिवारी, अमिता सिंह, उपकेंद्र नाथ सिंह, स्मिता जायसवाल आदि ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। प्रशिक्षण सत्र में यह भी तय किया गया कि प्रदेश के 23733 संविलियन विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों के मध्य आने वाली समस्याओं के निराकरण के लिए भविष्य में कई अन्य कार्यशाला व प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
शिक्षकों ने की समूह चर्चा
प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल शिक्षकों के लिए समूह चर्चा का आयोजन किया गया। इसमें छह शिक्षकों का बैच बनाया गया। सभी अध्यापकों ने अपनी समस्याएं रखीं। विषय विशेषज्ञों ने उनके समाधान संबंधी विचार दिए। अध्यापकों के प्रत्येक समूह को लक्ष्य, प्रक्रिया, समय सीमा, लीडरशिप और परिणाम विषयों पर चार्ट तैयार करने के लिए भी कहा गया। उसके बाद प्रत्येक समूह ने चार्ट के प्रस्तुतीकरण की प्रक्रिया में अपने अपने विचार सभी ने रखे। प्रथम समूह ने विभिन्न जिम्मेदारियों और विभिन्न नेतृत्व क्षमताओं, समय प्रबंधन, ग्रुप मीटिंग आदि के माध्यम से लक्षित ध्येय की प्राप्ति के लिए विभिन्न सुझाव दिए। दूसरे समूह ने विद्यालय-कक्षा वातावरण को बेहतर बनाने संबंधी वर्किंग प्लान प्रस्तुत किया। सत्र के अगले चरण में डा. राय ने रिसोर्स मैनेजमेंट पर बात करते हुए एक डाक्यूमेंट्री के माध्यम से (जिसका विषय था द अदर पेयर) प्रतिभागियों को कैसे रिसोर्सेज का बेहतर प्रबंधन करें और कैसे लोगों में आत्मीयता के साथ आपसी सूझबूझ के साथ निर्णय लेने की क्षमता विकसित करें इस विषय पर जोर दिया।