प्रदेश के राजकीय महाविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों पर भर्ती प्रक्रिया जल्द शुरू होने जा रही है। उच्च शिक्षा निदेशालय अप्रैल के पहले सप्ताह में सभी महाविद्यालयों के प्राचार्यों से रिक्त पदों का ब्योरा मांगने जा रहा है।
इसके लिए निदेशालय ने नया सॉफ्टवेयर भी तैयार करा लिया है। रिक्त पदों की सूचना मिलते ही निदेशालय की ओर से उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) को पदों का अधियाचन भेजा जाएगा और फिर आयोग भर्ती के लिए आवेदन की प्रक्रिया शुरू करेगा।
उच्च शिक्षा निदेशालय की ओर से प्रदेश भर में 331 अशासकीय सहायता प्राप्त महाविद्यालयों से असिस्टेंट प्रोफेसर के रिक्त पदों का ब्योरा पहले ही मांगा जा चुका है। यह ब्योरा पांच अप्रैल तक ऑफलाइन उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए है और क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारियों को ब्योरा उपलब्ध कराना है, लेकिन प्रदेश के 172 राजकीय महाविद्यालयों को रिक्त पदों पर ब्योरा ऑनलाइन देना होगा और यह ब्योरा सीधे प्राचार्य भेजेंगे। कॉलेजों से रिक्त पदों का ऑनलाइन ब्योरा पहली बार मांगा गया है और उच्च शिक्षा निदेशालय ने इसके लिए एनआईसी से सॉफ्टवेयर भी तैयार करा लिया है।
राजकीय महाविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर के तकरीबन 600 पद खाली होने का अनुमान है। हालांकि पदों की सही संख्या सभी 172 महाविद्यालयों से ब्योरा मिलने के बाद ही स्पष्ट होगी। ऑनलाइन व्यवस्था लागू होने के कारण प्रक्रिया तेजी से पूरी होगी और पारदर्शिता भी आएगी।
प्राचार्यों को बताना होगा कि उनके कॉलेज में कितने पद स्वीकृत हैं, किसने असिस्टेंट प्रोफेसर तैनात हैं और कितने पद खाली है। प्राचार्यों को शपथपत्र भी देना होगा। ऐसे में पदों की संख्या में हेरफेर की कोई आशंका भी नहीं रह जाएगी। उच्च शिक्षा निदेशक डॉ. अमित भारद्वाज ने बताया कि रिक्त पदों की ऑनलाइन सूचना के लिए अप्रैल के पहले सप्ताह में पोर्टल खोल दिया जाएगा।
लिएन का भी देना होगा ब्योरा
अगर कोई असिस्टेंट प्रोफेसर किसी दूसरे विभाग में चयनित हो चुका है और वह लिएन (धारणाधिकार) पर है तो प्राचार्य को इसकी सूचना भी उच्च शिक्षा निदेशालय को देनी होगी। अधिकतम दो साल तक लिएन पर रहने का प्रावधान है। इस दौरान पद को रिक्त नहीं माना जाएगा और न ही उस पद पर भर्ती की जाएगी।