मनरेगा के संविदा कर्मियों के लिए सरकार ओर से की गई घोषणाओं में से कई पर ग्राम्य विकास विभाग ने छह महीने बाद भी अमल नहीं किया है। उत्तर प्रदेश ग्राम रोजगार सेवक संघ ने विभाग के अधिकारियों पर जानबूझकर आदेश जारी नहीं करने का आरोप लगाया है।
मुख्यमंत्री ने 4 अक्तूबर 2021 को डिफेंस एक्सपो मैदान में आयोजित एक कार्यक्रम में मनरेगा के संविदा कर्मियों का मानदेय बढ़ाने, संविदा कर्मियों की मानव संसाधन नीति बनाने, उनके जॉब कार्ड में अन्य कार्य शामिल करने, उपायुक्त की अनुमति के बिना किसी भी संविदा कर्मी को नहीं हटाने, 24 दिन आकस्मिक और 15 दिन चिकित्सा अवकाश देने सहित अन्य घोषणा की थी।
विभाग से मानदेय बढ़ाने, ग्राम पंचायतों के नगर निकाय में शामिल होने के कारण उन ग्राम पंचायतों के ग्राम रोजगार सेवकों को अन्य पंचायतों में समायोजित करने का आदेश जारी हुआ है। ग्राम रोजगार संघ के अध्यक्ष भूपेश सिंह ने बताया कि जॉब कार्ड में सभी काम शामिल करने की बात थी, लेकिन केवल पीएम और सीएम आवास की जियो टैगिंग का काम ही शामिल किया है।
जबकि, संविदा कर्मियों की एचआर पॉलिसी जारी करने, उपायुक्त की अनुमति के बिना किसी भी संविदा कर्मी को न हटाने और आकस्मिक एवं मेडिकल अवकाश का आदेश अभी तक जारी नहीं किया है। उन्होंने कहा कि इससे करीब 40 हजार संविदा कर्मी प्रभावित हो रहे हैं। मनरेगा के अपर आयुक्त योगेश कुमार का कहना है कि एचआर पॉलिसी लागू करने का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है।