उत्तर प्रदेश के मंत्रियों को परिवार संग अपनी सम्पत्ति की जानकारी सार्वजनिक करने के अलावा उपहार स्वीकार करने में भी सावधानी बरतनी होगी। मंत्री अब 5 हजार रुपए से ज्यादा कीमत के गिफ्ट नहीं ले सकेंगे। इससे ज्यादा कीमत के गिफ्ट कोषागार में जमा कराने होंगे।
ये निर्देश सीएम योगी आदित्यनाथ ने अपने मंत्रियों को दिए हैं। बताया जा रहा है कि मंत्रियों को इस सम्बन्ध बकायदा लिखित में आचार संहिता उपलब्ध करा दी गई है। कहा गया है कि ऐसे प्रतीक जो सामंत शाही का बोध कराते हैं जैसे सोने-चांदी के मुकुट आदि, स्वीकार नहीं करने चाहिए। मंत्रियों से पांच हजार से अधिक कीमत के गिफ्ट पर रोक लगाने को कहा गया है। लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत सभी निर्वाचित सदस्यों (मंत्री भी शामिल) के लिए सार्वजनिक आचरण के मानक तय हैं।
वर्ष-2017 में पहली बार मुख्यमंत्री बनने के बाद भी योगी आदित्यनाथ ने मंत्रियों से अपनी सम्पत्ति सार्वजनिक करने को कहा था। सीएम योगी ने खुद इसका पालन किया। बाकी मंत्रियों को अपना ब्योरा तत्कालीन वित्त मंत्री राजेश अग्रवाल को देना था। बताया जा रहा है कि कई मंत्रियों ने ब्योरा काफी समय तक नहीं भेजा था। कई मंत्रियों की यह भी दलील थी कि विधानसभा चुनाव में वे लोग चुनाव आयोग में बकायदा शपथ पत्र दे चुके हैं। अब सीएम ने इसी मुहिम का दायरा बढ़ाते हुए इसमें परिजनों को भी शामिल कर लिया है।
मंत्रियों से आचार संहिता के पालन की अपेक्षा सीएम योगी ने की है। मंत्रियों को बताया गया है कि वे क्या कर सकते हैं और क्या नहीं। मंत्रियों से कहा गया है कि वे किसी भी संगठन से पुरस्कार लेने से पहले उसके बारे में पूरी जांच-पड़ताल करें। संस्था ठीक है तो पुरस्कार ले सकते हैं लेकिन इसके साथ कोई धनराशि नहीं ली जानी चाहिए। पुरस्कार देने वाली संस्था के विदेशी होने की स्थिति में सरकार से इजाजत लेनी होगी। विदेश दौर पर मिले प्रतीकात्मक उपहार जैसे सम्मान पत्र, प्रतीक चिह्न या समारोह से जुड़े उपहार मंत्री रख सकेंगे। बाकी ट्रेजरी में जमा करवाने होंगे।
हर साल देंगे सम्पत्ति का ब्योरा
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंत्रियों से हर साल अपनी, पत्नी की और परिवार के सभी आश्रित सदस्यों की सम्पत्ति की जानकारी सार्वजनिक करने को कहा है। इसके साथ ही उन्होंने मंत्रियों से काम में परिवार का दखल न हाने देने को भी कहा है। यह भी कहा है कि मंत्री या उनके परिवार का सदस्य, सरकार से मिलने वाले लाइसेंस, परमिट, कोटा, पट्टा पर आधारित काम नहीं करेगा। अगर मंत्री बनने के पहले से ऐसा कोई काम चल रहा हो तो उसकी पूरी जानकारी देनी होगी। इन सभी मानकों के पालन और उल्लंघन से जुड़े मामलों के लिए मुख्यमंत्री के मामले में प्रधानमंत्री और मंत्रियों के मामले में मुख्यमंत्री प्राधिकारी होंगे।