इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि एवं तकनीकी विश्वविद्यालय मेरठ के अध्यापकों की सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि सरकार स्टैच्यूट में तीन माह में संशोधन कर अध्यापकों की सेवानिवृत्ति आयु 65 वर्ष करे और जब तक सरकार निर्णय नहीं ले लेती, तब तक याची को कार्य करने दिया जाए। यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ ने डॉ देवेंद्र कुमार मिश्र की याचिका अधिवक्ता अजय राजेंद्र को सुनकर याचिका स्वीकार करते हुए दिया है।
कोर्ट ने कहा कि अध्यापकों की सेवानिवृत्ति आयु 62 से बढ़कर 65 वर्ष करने के केंद्र सरकार के 31 दिसंबर 2008 का आदेश राज्य सरकार पर बाध्यकारी है। विश्वविद्यालयों के स्टैच्यूट में बदलाव न करना संविधान के अनुच्छेद 14 व अनुच्छेद 19(1) जी का उल्लंघन है। साथ ही विभेदकारी व मनमानापूर्ण भी है। केंद्र सरकार से वेतनमान निर्धारण के मद में राज्य सरकार ने 80 फीसदी अनुदान ले लिया लेकिन प्रदेश के विश्वविद्यालयों के स्टैच्यूट में बदलाव नहीं किया। कोर्ट ने कहा कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने भी 30 अक्तूबर 2010 को सर्कुलर जारी किया है, जिसपर अमल नहीं किया गया है।
याची को निदेशक प्रशासन एवं मॉनिटरिंग सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि एवं तकनीकी विश्वविद्यालय मोदीपुरम मेरठ ने छह दिसंबर 2021 को सूचित किया कि वह 62 वर्ष की आयु में 30 अप्रैल 2022 को सेवानिवृत्त हो जाएगा। याची ने आयुसीमा बढ़ाने के लिए सरकार को स्टैच्यूट में बदलाव लाने के लिए प्रत्यावेदन दिया।
याची का कहना था कि उत्तराखंड सरकार ने बदलाव कर विश्वविद्यालय अध्यापकों की सेवानिवृत्ति आयु 65 वर्ष कर दी है इसलिए उत्तर प्रदेश में भी ऐसा किया जाए। सरकार की ओर से कहा गया कि याची को सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने की मांग करने का अधिकार नहीं है और उत्तराखंड राज्य का फैसला उत्तर प्रदेश में लागू नहीं होगा। याची ने कहा कि शिक्षा मानक व शर्तें तय करने का अधिकार केंद्र सरकार को है। केंद्र सरकार ने अध्यापकों की सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने का निर्देश दिया है, जो राज्यों पर बाध्यकारी है।