जीएसटी से पहले प्रदेश में लागू मूल्य वर्धित टैक्स प्रणाली (वैट) का लगभग छह हजार करोड़ का बकाया टैक्स फंसा हुआ है। इस बकाया टैक्स की वसूली के लिए अब सरकार ब्याज माफी योजना लाने पर विचार कर रही है। वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने भी बकाया टैक्स की वसूली के लिए राज्य कर विभाग के अधिकारियों को ब्याज माफी योजना तैयार करने के निर्देश दिए हैं
जुलाई 2017 से पहले प्रदेश में वैट प्रणाली लागू थी जिसमें करदाता व्यापारियों और फर्मों पर करीब छह हजार करोड़ का बकाया है। राज्य कर विभाग की ओर से वन टाइम सैटेलमेंट के तहत बकाया टैक्स की वसूली के लिए प्रयास किए गए। चूंकि अधिकतर फर्म वर्तमान में कारोबार नहीं कर रही है इसलिए बकाया टैक्स की वसूली मुश्किल लगती है।
जून 2022 में जीएसटी प्रतिपूर्ति की अवधि खत्म हो रही है। यदि समय सीमा नहीं बढ़ी तो सरकार को सालाना पांच हजार करोड़ का राजस्व नुकसान उठाना पड़ेगा। वित्तीय वर्ष 2021-22 में सरकार की ओर से वैट के तहत पेट्रोल, डीजल, आबकारी और एटीएस से 2100 करोड़ लक्ष्य के सापेक्ष 2293 करोड़ टैक्स आया है जबकि जीएसटी में निर्धारित लक्ष्य 5200 करोड़ से अधिक 5973 करोड़ का टैक्स एकत्रीकरण हुआ है