अनुसूचित जाति के छात्रों के साथ एक बड़ी लापरवाही सामने आई है। समाज कल्याण विभाग के जिलास्तरीय अधिकारी और शिक्षण संस्थान 1.65 लाख छात्रों का डाटा ही अग्रसारित करना भूल गए। मामला सामने आने पर शासन ने संज्ञान लिया। केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय से अनुमति लेकर इनका डाटा अग्रसारित करने के लिए पोर्टल पर विकल्प दे दिया गया है। अब इन छात्रों को चालू वित्त वर्ष के बजट में प्रावधान करके भुगतान किया जाएगा।
केंद्र व राज्य सरकार ढाई लाख रुपये तक सालाना पारिवारिक आय वाले अनुसूचित जाति के छात्रों के लिए छात्रवृत्ति के साथ शुल्क भरपाई की सुविधा देती है। इसमें 60 प्रतिशत राशि केंद्र व 40 प्रतिशत राज्य सरकार की होती है। 2021-22 में एससी वर्ग के कुल 11.7 लाख छात्रों को भुगतान किया गया। इसके बावजूद बड़ी संख्या में छात्रों के खातों में राशि नहीं पहुंची तो उन्होंने शिकायतें कीं।
संस्थानों और जिलास्तरीय अधिकारियों से संतोषजनक जवाब न मिलने पर मामला शासन तक पहुंच गया। इस योजना में छात्रों से 10 जनवरी तक ऑनलाइन आवेदन मांगे गए थे। पता चला कि इनमें से 1.65 लाख छात्रों के आवेदन संस्थान या जिलास्तर पर पेंडिंग पड़े हैं।
छात्रवृत्ति में केंद्र सरकार का भी शेयर होता है। इसलिए उच्चस्तरीय वार्ता के बाद इन छात्रों का डाटा जिलास्तर से फॉरवर्ड करने का फैसला किया गया। इसके लिए 27 अप्रैल तक की तिथि दी गई है। 28 व 29 अप्रैल को भुगतान का बिल जेनरेट होगा। इसके बाद छात्रवृत्ति के केंद्र सरकार के पोर्टल पर संबंधित डाटा को साझा किया जाएगा।
समाज कल्याण विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने के अनुरोध के साथ बताया कि भुगतान के लिए जरूरी प्रक्रिया अप्रैल में ही पूरी कर ली जाएगी। खातों में राशि तभी भेजी जा सकेगी, जब इसके लिए चालू वित्त वर्ष के बजट में इसका प्रावधान हो जाएगा। हालांकि, उच्चस्तरीय सहमति मिलने के कारण इसमें दिक्कत नहीं आएगी।