एलटी ग्रेड हिंदी के चयनित अभ्यर्थियों की अर्हता से संबंधित विवाद दूर होने के बाद भी चयनितों को नियुक्ति नहीं मिली। उनकी फाइलें उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) में ही पड़ी हैं। अभ्यर्थी परेशान हैं और आए दिन आयोग के चक्कर लगा रहे हैं। उनका कहना है कि कोर्ट से राहत मिलने के बावजूद आयोग नियुक्ति की प्रक्रिया को आगे नहीं बढ़ रहा है।
एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती के लिए मार्च 2018 में आवेदन लिए गए थे। आवेदन की अंतिम तिथि 16 अप्रैल थी और जुलाई-2018 में परीक्षा कराई गई थी। हिंदी विषय के अभ्यर्थियों के लिए अर्हता निर्धारित की गई थी कि इंटरमीडिएट में संस्कृत एवं स्नातक में हिंदी विषय के साथ बीएड की डिग्री भी हो।
नियम है कि आवेदन की अंतिम तिथि तक अर्हता पूरी होनी चाहिए। कई ऐसे अभ्यर्थियों ने भी आवेदन कर दिए थे कि जिनके पास इंटरमीडिएट में संस्कृत विषय नहीं थे और वे अर्हता पूरी नहीं कर रहे थे। ऐसे अभ्यर्थियों ने उस वक्त अर्हता पूरी करने के लिए एकल विषय संस्कृत से यूपी बोर्ड की परीक्षा दी थी, जिसका परिणाम 29 अप्रैल को जारी किया गया।
चयन होने के बाद भी फंस गई नियुक्ति
आयोग ने वर्ष 2018 में ही चार से 14 जून तक पुन: आवेदन मांग लिए और जिन अभ्यर्थियों ने 29 अप्रैल 2018 को एकल विषय संस्कृत से इंटरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण की, उन्होंने चार से 14 जून के बीच आवेदन किए। इनमें से 134 अभ्यर्थियों का चयन भी हो गया, लेकिन उनकी नियुक्ति फंस गई। विवाद शुरू हो गया कि 16 अप्रैल और 14 जून में से किसे आवेदन की अंतिम तिथि माना जाए। इसी विवाद में 134 चयनित अभ्यर्थियों की फाइलें आयोग में ही अटकी रही गईं, जबकि अन्य चयनितों की फाइलें माध्यमिक शिक्षा निदेशालय को भेज दी गईं।
जिन अभ्यर्थियों की फाइलें आयोग में ही अटकी रह गईं, उन्होंने कोर्ट में याचिका दाखिल की थी और उन्हें राहत भी मिल गई थी। अभ्यर्थियों का कहना है कि इसके बाद भी आयोग ने उनकी फाइलें आगे नहीं बढ़ाईं हैं।
अभ्यर्थी मानकर चल रहे थे कि यूपी विधानसभा चुनाव की आचार संहिता समाप्त होने के बाद आयोग उनकी फाइलें निदेशालय को भेज देगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। चयनित अभ्यर्थी मनीष कुमार, ज्ञानलता, सुनील शुक्ला, पूर्णिमा, पंकज आदि ने आयोग से मांग की है कि उनकी फाइलें आगे बढ़ाईं जाएं, ताकि उन्हें नियुक्ति मिल सके।