केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने शुक्रवार को नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत सामान्य पाठ्यक्रम ढांचे के लिए निर्देश पत्र यानी दस्तावेज जारी किया। उन्होंने इसे भारतीय शिक्षा प्रणाली में बदलाव की दिशा में एक बड़ा कदम बताया है। उन्होंने बेंगलुरु में आयोजित कार्यक्रम में कहा कि नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क एक विजन है। इसमें राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा दर्शाई गई है। जनादेश दस्तावेज 21वीं सदी की बदलती जरूरतों का पूरा करने में मददगार होगा।
राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा के लिए निर्देश पत्र बच्चों के समग्र विकास, कौशल पर जोर, शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका, मातृभाषा में सीखने, सांस्कृतिक जड़ता पर ध्यान देने के साथ एक आदर्श बदलाव लाएगा। यह भारतीय शिक्षा प्रणाली के डी-कॉलोनाइजेशन की दिशा में भी एक कदम है।
उन्होंने नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क (NCF) को समाज का एक दस्तावेज बताते हुए उस पर अपने सुझाव देने के लिए लोगों को एक एप-आधारित प्रक्रिया अपनाने का सुझाव दिया। बता दें कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत चार क्षेत्रों – स्कूली शिक्षा, बचपन की देखभाल और शिक्षा, शिक्षक शिक्षा और वयस्क शिक्षा आदि में एनसीएफ यानी राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा के विकास की सिफारिश की गई है।
नई शिक्षा नीति के कार्यान्वयन के लिए नया एनसीएफ
पाठ्यक्रम ढांचे के विकास के लिए इनपुट प्रदान करने के लिए, नई शिक्षा नीति के दृष्टिकोण पर आधारित 25 विषयों को तीन श्रेणियों के तहत पहचाना गया है। ये पाठ्यक्रम शिक्षा जगत के अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्र हैं जो प्रणालीगत परिवर्तनों और सुधारों पर ध्यान केंद्रित करते हैं। मंत्री ने कहा कि परिवर्तनकारी नई शिक्षा नीति के कार्यान्वयन के लिए नया एनसीएफ है जो स्कूलों और कक्षाओं में राष्ट्रीय शिक्षा नीति की दृष्टि को वास्तविकता में परिवर्तित करके देश में उत्कृष्ट शिक्षण और सीखने के माध्यम को सशक्त और सक्षम करेगा।
प्रस्तावित संशोधन एनसीएफ का पांचवां संशोधन होगा
एनसीएफ के विकास को राष्ट्रीय संचालन समिति (एनएससी) द्वारा निर्देशित किया जा रहा है। राष्ट्रीय संचालन समिति की अध्यक्षता डॉ के कस्तूरीरंगन कर रहे हैं। इस पर राष्ट्रीय शिक्षा अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) के साथ मिलकर काम किया जा रहा है। एनसीएफ के जरिये देश भर में शिक्षा में सबसे महत्वपूर्ण हितधारकों शिक्षकों, छात्रों, अभिभावकों और समुदायों को सक्षम और सशक्त बनाने के लिए एजुकेशनल प्रैक्टिस सुधारने पर जोर रहेगा। बता दें कि एनसीएफ को अब तक चार बार – 1975, 1988, 2000 और 2005 में संशोधित किया जा चुका है। प्रस्तावित संशोधन एनसीएफ का पांचवां संशोधन होगा।