हाईकोर्ट ने सख्ती की तो उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने कुछ दिनों पहले पीसीएस-2019 और पीसीएस-2020 की उत्तरकुंजी एक साथ जारी कर दी, लेकिन अभ्यर्थी इससे संतुष्ट नहीं हैं। वे इस मांग पर अड़े हैं कि आयोग पूर्व की भांति अंतिम परिणाम वाले दिन संशोधित उत्तरकुंजी जारी करे, ताकि अभ्यर्थी अपनी बात उचित फोरम पर मजबूती के साथ रख सकें।
आयोग वर्ष 2018 तक भर्ती परीक्षाओं की अंतिम एवं संशोधित उत्तरकुंजी अंतिम चयन परिणाम वाले दिन जारी कर देता था। इससे अभ्यर्थियों को वक्त रहते मालूम हो जाता था कि गलत सवालों पर उनकी आपत्तियों का निस्तारण हुआ या नहीं।
साथ ही यह जानकारी भी मिल जाती थी कि आयोग ने जिन प्रश्नों के उत्तरों को संशोधित किया है, वे सही हैं या नहीं। आयोग ने अपनी ही बैठक में तय किया था कि अंतिम परिणाम वाले दिन संशोधित उत्तरकुंजी जारी की जाएगी, लेकिन आयोग ने पीसीएस-2019 और पीसीएस-2020 के अंतिम चयन परिणाम के महीनों बाद भी संशोधित उत्तरकुंजी जारी नहीं की और अभ्यर्थियों को कोर्ट की शरण में जाना पड़ा।
छात्रों का आरोप, जानबूझकर की जा रही देरी
कोर्ट की सख्ती के बाद आयोग ने पीसीएस-2019 और पीसीएस-2020 की संशोधित उत्तरकुंजी एक साथ जारी कर दी और इसके बाद स्पष्ट हुआ कि पीसीएस की दोनों परीक्षाओं में 38 सवाल गलत थे, जिनमें से कई को डिलीट किया गया और कुछ को संशोधित किया गया। आयोग ने दोनों उत्तरकुंजी तब जारी की, जब चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति मिल चुकी थी। सूत्रों का कहना है कि आयोग ने अपने पुराने प्रस्ताव में बदलाव करते हुए अंतिम चयन परिणाम के बाद उत्तरकुंजी देने का निर्णय ले लिया।
अभ्यर्थियों ने सवाल उठाए हैं कि परीक्षाओं में पारदर्शिता का दावा करने वाले आयोग को यह बदलाव करने की जरूरत क्यों पड़ी? अगर आयोग के विशेषज्ञ त्रुटिरहित प्रश्नपत्र तैयार करें और सही सवाल पूछे जाएं तो अभ्यर्थी कोर्ट क्यों जाएंगे? प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के अध्यक्ष अवनीश पांडेय का आरोप है कि आयोग जानबूझकर देर से उत्तरुकुंजी जारी कर रहा है, ताकि गलत सवाल पर अभ्यर्थी मजबूती के साथ दावा न कर सकें और प्रश्नों को लेकर कोई विवाद होने से पहले नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी कर ली जाए।