बस्ती। परिषदीय स्कूलों में शिक्षा की दशा और दिशा सुधारने के लिए शासन के स्तर से तमाम प्रयास किए जा रहे हैं। जिस पर करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं। वहीं, जिले में कुछ ऐसे भी शिक्षक हैं, जिन्होंने निजी स्तर पर सरकारी स्कूल की दशा और दिशा बदल दी है। नतीजा यह है कि अब इन परिषदीय स्कूलों में अच्छे घरों के बच्चे भी पढ़ने लगे हैं। यह स्कूल परिषदीय स्कूल के शिक्षकों के लिए नजीर बन गए हैं। इन स्कूलों में शिक्षकों ने अपने निजी खर्च पर स्मार्ट क्लास, खेलने का परिसर, वाचनालय और पुस्तकालय तक का निर्माण कराया है। इन स्कूलों के सभी बच्चों के लिए बेंच और कुर्सी भी है। यह स्कूल अब कान्वेंट स्कूलों को टक्कर दे रहे हैं।
आदर्श प्राथमिक विद्यालय मूड़घाट में लगती है दाखिले की होड़
सदर क्षेत्र का आदर्श प्राथमिक विद्यालय मूड़घाट। जहां प्रवेश के लिए बच्चों की लाइन लगी रहती है। एक तरफ जहां दूसरे विद्यालयों में बच्चों की कमी खलती है। वहीं, इस विद्यालय के प्रधानाध्यापक डॉ. सर्वेष्ट मिश्र व उनकी टीम ने अपने अथक प्रयासों व जनसहयोग से एक मॉडल स्कूल के रूप में विकसित किया है। वर्ष 2016 जब डॉ. सर्वेष्ट मिश्र तैनाती हुई। तब इस स्कूल में केवल 19 बच्चे और दो शिक्षक थे। लेकिन, सर्वेष्ट परिश्रम से इस स्कूल को एक मॉडल स्कूल के रूप में विकसित कर दिया। अत: वह घर घर जाकर एक महीने के अंदर डेढ़ सौ नए प्रवेश किए। अपने वेतन व समाज के सहयोग से पूरी बिल्डिंग की मरम्मत पेंटिंग कराई। बच्चो के बैठने के लिए फर्नीचर, व्हाइट बोर्ड, विद्युतीकरण व पंखे आदि की व्यवस्था की। अब इस स्कूल में प्रोजेक्टरयुक्त स्मार्ट क्लास है। पूरे परिसर में सीसीटीवी कैमरे, बॉयोमीट्रिक अटेंडेंस, स्कूल की वेबसाइट, स्मार्ट टीवी व अन्य अत्याधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित है। आज 300 से अधिक बच्चे पढ़ते हैं और सैकड़ों से अधिक बच्चे अगले वर्ष में प्रवेश लेने के लिए प्रतीक्षारत हैं। लेकिन, विद्यालय मे जगह की कमी से चलते प्रवेश नहीं ले पा रहे। इस स्कूल के बच्चों ने राष्ट्रीय व राज्य स्तर पर बाल वैज्ञानिक के रूप में भी पहचान दिलाई है।
परसा जागीर में स्मार्ट क्लास में पढ़ते हैं बच्चे
सदर ब्लॉक के कंपोजिटव परिषदीय विद्यालय परसा जागीर गांव में स्थित एक ऐसा विद्यालय है। जो निजी स्कूलों को कड़ी टक्कर दे रहा है। इस विद्यालय में आडियो-वीडियो के माध्यम से पढ़ाई होती है। इसके अलावा खेल, संगीत भी बच्चों को सिखाया जाता है। विद्यालय को स्मार्ट क्लॉस बनाया गया है। प्रधानाध्यापक डॉ.शिव प्रसाद ने बताया कि जब उन्होंने 2005-06 में कार्यभार ग्रहण किया था, तब यहां महज 67 बच्चे थे। स्वयं शिक्षकों तथा विद्यालय प्रबंध समिति के आपसी सहयोग से 511 बच्चों का नामांकन है। विद्यालय के सभी कमरों में टाईल्स लगा है। परिसर में पर्यावरण संरक्षण के लिए 125 प्रजाति के जैविक पौधे का रोपण किया गया है। सभी बच्चों को बैठने के लिए कुर्सी बेंच उपलब्ध है। बच्चों को पढ़ने के लिए पुस्तकालय भी बनाया गया है। यह सभी कार्य जन पहल जन सहयोग और शिक्षा सेवा भाव के कारण संभव हुआ है। अब विद्यालय में बच्चों के बैठने के लिए पर्याप्त जगह नहीं है।
अंग्रेजी माध्यम की शिक्षा का बना केंद्र
गौर ब्लॉक का आदर्श प्राथमिक विद्यालय मुसहा कान्वेंट की तर्ज पर बच्चों को शिक्षा दे रहा है। अंग्रेजी मीडियम के इस मॉडल स्कूल में स्मार्ट क्लास के अलावा बच्चों को संगीत की भी शिक्षा दी जाती है। प्रदेश सरकार की ओर से विद्यालय की गुणवत्ता को देखते हुए इसे वर्ष 2011 में ही अंग्रेजी मॉडल स्कूल के रूप में चयनित कर विकसित किया गया। प्रधानाध्यापक राम सजन यादव ने बताया कि विद्यालय को कान्वेंट की तर्ज पर बनाया गया है। विद्यालय में कुल 18 कमरे सुसज्जित ढंग से बनाए गए हैं। जहां बच्चों को अंग्रेजी, कंप्यूटर एवं प्रोजेक्टर के माध्यम से शिक्षा दी जाती है। बच्चों को ढोलक, हारमोनियम संगीत के अन्य विधाओं की शिक्षा दी जाती है। प्रधानाध्यापक खुद के खर्च पर बच्चों को आई कार्ड, बैठने के लिए बेंच की व्यवस्था व कमरों में टाइल्स लगाकर विद्यालय को मॉडल के रूप में विकसित किया है। इस समय 543 बच्चों का नामांकन है।
मॉडल स्कूल बन गया देवमी
बनकटी क्षेत्र के आदर्श संविलियन विद्यालय देवमी में तैनात शिक्षक मो. इकबाल ने राज्य पुरस्कार में मिली धनराशि से बच्चों के बैठने को फर्नीचर की व्यवस्था की। 2012 में इस स्कूल में मात्र 35 बच्चे थे, जो जमीन पर बैठकर पढ़ते थे। लेकिन, जन सहयोग और स्वयं के खर्च पर स्कूल को सुंदर बनाया और फिर बच्चों को पढ़ाई के लिए किताब, प्रोजेक्टर युक्त स्मार्ट क्लास पूरे परिसर में सीसीटीवी कैमरे, लैपटाप मुहैया कराएं जो क्षेत्र का माडल स्कूल बन गया है।