यूपी के शिक्षको को इस समय नामांकन का लक्ष्य मिला है। जिसकी वजह से अब तक कितने शिक्षको की सेलरी रूक चुकी है, कितने शिक्षक साहब से डाट मिल चुकी है, कितने लोगो की सेलरी की लिस्ट जारी होने वाली है। नामांकन का लक्ष्य को पूरा न कर पाने से हो रहे है परेशान, शिक्षक बता रहे है ये परेशानी।
कुछ शिक्षक बता रहे है कि साहब हमारे छोटे से गांव मे तो इतने बच्चे ही नही हो कहां से हो नामांकन
एक शिक्षक ने ये बोला हमने आशा और आगंनबाड़ी से पता किया कि इस ग्राम सभा मे कितने बच्चे हर साल पैदा हो रहे तो जो जवाब मिला वो चौकाने वाला था। जो डाटा आशा ने बताया उस डाटा से दोगूना शिक्षको का लक्ष्य मिला है।
कुछ शिक्षको का कहना है कि प्राइवेट स्कूलो की मान्यता सही ढंग से देखकर मानक के अनुसार नही दी गयी है जिसकी वजह से प्राइवेट स्कलो की संख्या बढ़ गयी है। अभिभावक प्राइवेट स्कूलो मे अपने बच्चो का नाम लिखवाने से अपने आप पर गर्व करते है।
कुछ गांवो के लोग काफी आर्थिक रूप से सम्पन्न है जिसकी वजह से वे लोग अपने बच्चो का नामांकन परिषदीय स्कूलो मे नही कराते है। जिसकी वजह से वहां के शिक्षक भी हलकान है।
कुछ शिक्षको का कहना है कि साहब हमारे स्कूल हाइवे के किनारे है अभिभावक दुर्घटना की डर से उस स्कूलो मे बच्चो को नही भेजते है।
कुछ शिक्षक बताते है कि साहब हमारे ग्राम सभी मे जातिवाद ज्यादा होता है, एक जाति के लोग अपने बच्चो केा दूसरे जाति के क्षेत्र वाले स्कूलो मे नही भेजते है उन्हे लड़ाई झगड़े का डर रहता हैं
कुछ शिक्षको का कहना है साहब हमारे स्कूल के कुछ ही दूरी पर कम्पोजिट व इग्लिश स्कूल है जिसकी वजह से हमारे यहां के अभिभावक बच्चो को उस स्कूल मे भेजते है जिसकी वजह से हमारे स्कूल मे नामांकन घट गया है।
इस शिक्षक ने उदाहरण देकर कुछ इस तरह समझाया कि सर माने ले कि हमारे ग्राम सभा मे इस वर्ष 40 बच्चो ने जन्म लिया पाचं साल बाद उसका नामांकन होगा। उस 40 बच्चो मे से जो लोग सम्पन्न होगे वो प्राइवेट मे भेजेगे। जैसे 15 बच्चे प्राइवेट मे गये बचे 25 बच्चे। उसमे से जो अभिभावक बंम्बई दिल्ली मे काम करते है वो बच्चे को लेकर वहां चले जायेगे। माने ले 5 बच्चे बाहर चले गये अपने परिवार के साथ और वही पढ़ाई कर रहे है। अब बचे 20 बच्चे। इसमे से भी कुछ नानी के यहां तो कुूछ बुआ के यहां चले जाते है। इस अवस्था मे यदि सरकार उस ग्राम सभा के सरकारी स्कूल को 60 बच्चे का नामांकन का लक्ष्य दे दिया जाये तो क्या पूरा हो पायेगा। अब साहब चाहे सेलरी रोके या इन्क्रीमेंट रोके या निलंबित करे दे वहां का शिक्षक नामांकन नही बढ़ा पायेगा। यहां बच्चे के नामांकन की बात हो रही है। यदि कायाकल्प की बात होती तो शिक्षक अपने सेलरी से व चंदा मांगकर लक्ष्य पूरा करा देता। उपर से इस समय लोग परिवार नियोजन अपना रहे है
कुछ शिक्षक बताते है कि साहब हमारे ग्राम सभी मे जातिवाद ज्यादा होता है, एक जाति के लोग अपने बच्चो केा दूसरे जाति के क्षेत्र वाले स्कूलो मे नही भेजते है उन्हे लड़ाई झगड़े का डर रहता हैं
कुछ शिक्षको का कहना है साहब हमारे स्कूल के कुछ ही दूरी पर कम्पोजिट व इग्लिश स्कूल है जिसकी वजह से हमारे यहां के अभिभावक बच्चो को उस स्कूल मे भेजते है जिसकी वजह से हमारे स्कूल मे नामांकन घट गया है।
इस शिक्षक ने उदाहरण देकर कुछ इस तरह समझाया कि सर माने ले कि हमारे ग्राम सभा मे इस वर्ष 40 बच्चो ने जन्म लिया पाचं साल बाद उसका नामांकन होगा। उस 40 बच्चो मे से जो लोग सम्पन्न होगे वो प्राइवेट मे भेजेगे। जैसे 15 बच्चे प्राइवेट मे गये बचे 25 बच्चे। उसमे से जो अभिभावक बंम्बई दिल्ली मे काम करते है वो बच्चे को लेकर वहां चले जायेगे। माने ले 5 बच्चे बाहर चले गये अपने परिवार के साथ और वही पढ़ाई कर रहे है। अब बचे 20 बच्चे। इसमे से भी कुछ नानी के यहां तो कुूछ बुआ के यहां चले जाते है। इस अवस्था मे यदि सरकार उस ग्राम सभा के सरकारी स्कूल को 60 बच्चे का नामांकन का लक्ष्य दे दिया जाये तो क्या पूरा हो पायेगा। अब साहब चाहे सेलरी रोके या इन्क्रीमेंट रोके या निलंबित करे दे वहां का शिक्षक नामांकन नही बढ़ा पायेगा। यहां बच्चे के नामांकन की बात हो रही है। यदि कायाकल्प की बात होती तो शिक्षक अपने सेलरी से व चंदा मांगकर लक्ष्य पूरा करा देता। उपर से इस समय लोग परिवार नियोजन अपना रहे है।
एक शिक्षक का कहना है कि हमारे यहां का स्कूल एकल है जब प्रर्याप्त अध्यापक ही नही होगे तो लोग अपने बच्चो को उस स्कूल मे क्यो भेजेगे। अधिकतर स्कूलो मे दो या तीन शिक्षक है। जबकि हर कक्षा के लिए एक शिक्षक होना चाहिऐ। एैसी दशा मे जो समझदार अभिभावक होते है वो कम शिक्षको वाले स्कूलो मे बच्चो को नही भेजते है। एैसे मे वहां का नामांकन घटेगा ही।
एक शिक्षक का कहना है हमारे स्कूल मे दो ही शिक्षक है एक शिक्षक प्रभारी प्रधानाध्यापक है उन्हे विभाग के द्वारा दिये गये कामो की फीडिंग है और कागज तैयार करना है। उस अवस्था मे वे बच्चो को उक्त उवधि मे नही पढ़ा पाते है। जिससे बच्चो की पढ़ाई नुकसान होती है एैसे मे वो बच्चा अपने घर जाकर पढ़ाई के बारे मे बतायेगा तो क्या अभिभावक उस बच्चे को उस स्कूल मे भेजेगा।
अब इन सब दशाओ को देखा जाय तो शिक्षक इस समय वास्तव मे हलकान हो रहे है