प्रदेश सरकार ने कोविड से पीड़ित कार्मिकों के लिए एक माह का विशेष आकस्मिक अवकाश स्वीकृत किए जाने की अनुमति दे दी है। यह उन्हें कैलेंडर वर्ष में देय आकस्मिक अवकाश से अतिरिक्त होगा। किसी साधारण अवकाश के साथ जोड़कर भी इसे लिया जा सकेगा। वित्तीय हस्तपुस्तिका में संक्रामक बीमारी के तौर पर कोविड को सूचीबद्ध कर दिया गया है। अपर मुख्य सचिव, वित्त एस राधा चौहान ने इस बाबत शासनादेश जारी कर दिया है।
शासनादेश के अनुसार कोविड-19 महामारी के प्रसार के कारण विभिन्न परिस्थितियों में राजकीय कर्मचारी कार्यालय आने में असमर्थ रहे हैं। यह भी देखा गया है कि कोविड से भिन्न बीमारी होने पर भी उन्हें अपने प्राधिकृत डॉक्टर से इलाज कराने व चिकित्सा प्रमाणपत्र पाने का अवसर नहीं मिला है। इसके चलते उनके अवकाश प्रकरण लंबित हैं। इसलिए कोविड पॉजिटिव पाए गए कर्मचारियों को एक माह तक की अधिकतम अवधि का विशेष आकस्मिक अवकाश स्वीकृत किया जाएगा
कर्मचारी जिस आवास में रह रहा था, उसी में उसके साथ रह रहे किसी व्यक्ति को कोविड-19 संक्रमण हुआ हो तो उस पीड़ित व्यक्ति के कोरोना पॉजिटिव होने की तिथि से संबंधित कर्मचारी को अधिकतम 21 दिन की अवधि के लिए या पीड़ित व्यक्ति के निगेटिव होने की तिथि तक के लिए (दोनों में जो कम हो) विशेष आकस्मिक अवकाश स्वीकृत होगा। ऐसे कर्मचारी जिनका आरटीपीसीआर रिपोर्ट निगेटिव है, लेकिन उनका उपचार कोरोना के लक्षणों के कारण हुआ है, उन्हें भी इस शर्त पर अधिकतम एक माह का विशेष अवकाश स्वीकृत कर दिया जाए कि ब्लड रिपोर्ट या सीटी स्कैन रिपोर्ट से कोविड-19 संक्रमण होने की पुष्टि होती हो। संबंधित प्रमाणपत्र सीएमओ की ओर से जारी होना चाहिए।
कंटेनमेंट जोन में रहने वाले कर्मचारी को भी कंटेनमेंट जोन घोषित रहने तक की अवधि के लिए विशेष आकस्मिक अवकाश स्वीकृत कर दिया जाए। विशेष आकस्मिक अवकाश स्वीकृत करने के लिए संबंधित कार्यालयाध्यक्ष सक्षम प्राधिकारी होंगे। विशेष आकस्मिक अवकाश स्वीकृत किए जाने के बाद भी अगर कोई अनुपस्थिति शेष रह जाती है और यह अवधि उनकी बीमारी के कारण बनी है तो चिकित्सा अवकाश स्वीकृत करने के लिए कहा गया है। कमजोरी के आधार पर अनुपस्थित रहने पर अर्जित अवकाश या निजी कार्य पर अवकाश उनके प्रार्थना पत्र के अनुसार स्वीकृत कर दिया जाए। विशेष आकस्मिक अवकाश की देयता एक से अधिक बार बनती है तो भी यह सुविधा दी जाए।
महामारी की अवधि में अन्य किसी बीमारी से पीड़ित होने पर निर्धारित चिकित्सक का परामर्श न मिलने पर पंजीकृत एलोपैथिक मेडिकल प्रैक्टिशनर के प्रमाणपत्र के आधार पर चिकित्सा अवकाश, अर्जित अवकाश या अन्य अवकाश स्वीकृत किया जाए। ये प्रावधान कोविड-19 महामारी के प्रारंभ होने से लेकर इसके समाप्त होने तक की अवधि के लिए लागू होंगे।