परिषदीय शिक्षकों का असामयिक निधन होने पर स्वजनों को ग्रेच्युटी का भुगतान कराने की तैयारी है। भले ही शिक्षक ने जीवनकाल में ग्रेच्युटी पाने के लिए विकल्प पत्र न भरा हो। बेसिक शिक्षा परिषद ने शासन को प्रस्ताव भेजा है कि शिक्षक का असामयिक निधन होने पर स्वजन को ग्रेच्युटी देने में विकल्प पत्र की बाध्यता न रखी जाए।
सरकार इस संबंध में जल्द आदेश जारी करके ऐसे शिक्षकों के स्वजन को बड़ी राहत दे सकती है। परिषद के डेढ़ लाख से अधिक विद्यालयों में 70466 प्रधानाध्यापक व 3,67,786 सहायक अध्यापक कार्यरत हैं। 60 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त का विकल्प देने वाले शिक्षकों को ग्रेच्युटी का भुगतान दिया जाता है। तय तारीख तक विकल्प न देने वाले शिक्षकों के बारे में माना जाता है कि वे इस सुविधा का लाभ नहीं लेना चाहते। ज्ञात हो कि परिषदीय शिक्षक 62 वर्ष की आयु पर सेवानिवृत्त होते हैं। ऐसे शिक्षक जिन्होंने विकल्प पत्र नहीं दिया और उनकी असामयिक मृत्यु 60 वर्ष से पहले हो जाती है, उनके स्वजन को ग्रेच्युटी का भुगतान नहीं हो रहा। इधर, कोरोना काल में शिक्षकों का निधन होने के बाद परिषद से 70 से 80 स्वजन ने ग्रेच्युटी भुगतान कराने की मांग की। बदायूं की ऊषारानी के मामले में कोर्ट ने स्वजन को ग्रेच्युटी देने का आदेश दिया। इस पर परिषद सचिव प्रताप सिंह बघेल द्वारा शासन को संबंधित प्रस्ताव भेजा गया है जिस पर जल्द आदेश होने की उम्मीद है। यह है पुराना नियम : शासनादेश 10 जून, 2002 में कहा गया कि ग्रेच्युटी के लिए शिक्षक व कर्मचारी सेवानिवृत्ति के एक वर्ष पूर्व यानी जिस शैक्षिक सत्र में सेवानिवृत्ति होगी उसकी पहली जुलाई (अब अप्रैल) तक विकल्प में परिवर्तन कर सकते हैं। विकल्प देने वाले को ही भुगतान किया जाएगा।