पीडब्ल्यूडी में नियमों को ताक पर रखकर लिपिक से जेई बनाए गए 106 अभियंताओं को पदावनत किए जाने के बाद अब उनसे रिकवरी कराई जाएगी। वह पिछले नौ वर्ष से लिपिक संवर्ग से पदोन्नति पाकर जेई का वेतन ले रहे थे। इस गड़बड़ी के लिए जिम्मेदार तत्कालीन अफसरों पर कार्रवाई की तलवार लटक गई है।
पीडब्ल्यूडी में दूरस्थ शिक्षा केंद्रों के डिप्लोमा के आधार पर लिपिकीय संवर्ग से पदोन्नति पाने वाले 106 अवर अभियंताओं को पदावनत किए जाने के बाद मुसीबतें बढ़ गई हैं। वजह है उनसे पिछले नौ वर्षों के नियम विरुद्ध लिया गया जेई का वेतनमान। पीडब्ल्यूडी की ओर से इसका आकलन कराया जा रहा है। ताकि, रिकवरी कराई जा सके। नौ वर्ष पहले 2013 में सपा सरकार के दौरान 124 लिपिकों को जेई बना दिया गया था।
कार्रवाई के चलते मचा है हड़कंप
नियमों की अनदेखी कर लिपिक से अवर अभियंता (जेई) के पद पर प्रोन्नति पाने वाले अभियंताओं को हटाने की संस्तुति के बाद महकमे में हड़कंप की स्थिति है। सबसे अधिक परेशानी का कारण है इन अभियंताओं से लाखों रुपये की रिकवरी। इससे बचने के लिए पदावनत किए गए अवर अभियंताओं ने एडी-चोटी का जोर भी लगाना शुरू कर दिया है। प्रमुख अभियंता नियोजन की कार्रवाई के बाद पदावनत किए गए
अभियंताओं ने लोक निर्माण मंत्री जितिन प्रसाद से बी संपर्क साधा है। इसके अलावा सीएम योगी आदित्यनाथ से भी गुहार लगाई है, लेकिन नियमों को ताक पर रखकर लिपिक से जेई बनने वालों को फिलहाल कहीं से राहत मिलने की उम्मीद नहीं दिख रही है।
95 फीसदी पद सीधी भर्ती से भरे जाने थे
अफसरों के मुताबिक इस प्रोन्नति के लिए जारी नियमावली के तहत जेई के 95 फीसदी पदों को आयोग के माध्यम से सीधी भर्ती के जरिए भरा जाना था। जबकि, पांच प्रतिशत पदों पर विभाग में नियुक्त समूह ग के लिपिक संवर्ग के कर्मचारियों को पदोन्नति दी जानी थी। लेकिन, पदोन्नति में मानक का ध्यान नहीं रखा गया। अवर अभियंता के पांच फीसदी पद लिपिकों की पदोन्नति के जरिए भरे जाने थे, लेकिन नियमों को ताक पर रख दिया गया।
इतना ही नहीं, इसके लिए इंजीनियरिंग का डिप्लोमा करने वाले लिपिकों को पात्र माना गया था। लेकिन, तमाम लिपिकों ने राजस्थान के एक विश्वविद्यालय के अलावा कई निजी संस्थानों से दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से दो वर्षीय डिप्लोमा हासिल कर लिया। इस मामले में नियुक्ति से पहले डिप्लोमा का सक्षम संवैधानिक संस्था से सत्यापन भी नहीं करवाया गया। शिकायत के बावजूद इसके अभी तक इस मामले की पत्रावली दबाकर रखी गई थी और गलत तरीके से प्रमोशन पाने वाले अवर अभियंताओं से ही काम लिया जाता रहा।
अफसरों की भूमिका की जांच शुरू, लटकी तलवार
नियम को ताक पर रखकर लिपिकों को जेई पद की रेवड़ी बांटने वाले कई अफसरों पर गाज गिर सकती है। इस मामले की जांच शुरू करा दी गई है। इसके पीछे जिन अफसरों की भूमिका थी, उन्हें चिह्नित किया जा रहा है। कहा जा रहा है कि बाबुओं को प्रोन्नत किया जा रहा था, उस वक्त भी पीडब्ल्यूडी मुख्यालय में तैनात तत्कालीन स्टाफ आफिसर ने इस पर आपत्ति जताए हुए वरिष्ठ अधिकारियों को चेताया था। लेकिन, उस वक्त इस पर ध्यान नहीं दिया गया।