स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता को मजबूती देने सहित छात्रों की प्रतिभा को प्रत्येक स्तर पर आंकने के लिए केंद्र सरकार जल्द ही कुछ और बड़े कदम
उठा सकती है। इसके तहत तीसरी, पांचवीं और आठवीं कक्षा की परीक्षाएं भी दसवीं और बारहवीं की बोर्ड परीक्षाओं जैसी आयोजित की जा सकती हैं। फिलहाल यह बोर्ड परीक्षा नहीं होगी, बल्कि उसके जैसी होगी। इनका आयोजन भी क्षेत्रीय स्तर पर किसी उपयुक्त प्राधिकरण की देखरेख में होगा। केंद्र राज्यों के साथ व्यापक चर्चा शुरू कर चुका है।
कई राज्यों में पहले भी पांचवीं व आठवीं के स्तर पर ऐसी परीक्षाएं आयोजित होती थीं। हालांकि, वर्ष 2009 में शिक्षा का अधिकार (आरटीई) कानून आने के बाद यह व्यवस्था बंद हो गई, क्योंकि इस कानून के तहत आठवीं तक किसी छात्र को फेल नहीं किया जा सकता था। इस बीच कई राज्यों ने शिक्षा की गुणवत्ता को मजबूती देने के लिए पांचवीं और आठवीं की परीक्षाओं को फिर से शुरू करने की पहल की है। राजस्थान, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों ने इसे शुरू भी कर दिया है। लेकिन तीसरी के स्तर पर अब तक इसे कहीं नहीं अपनाया गया है।
शिक्षा मंत्रलय से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता को मजबूती देने की इस पहल के तहत नए कदम की तैयारी है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी इसे लेकर सिफारिश की गई है। इसमें कहा गया है कि स्कूलों में छात्रों को रटकर याद कराने के बजाय उन्हें वास्तविक ज्ञान दिया जाए। साथ ही उन्हें कौशल विकास से भी जोड़ा जाए। यही वजह है कि शिक्षा मंत्रलय अब निचले स्तर पर एक मानक तय करना चाहता है।
’>>स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता बेहतर बनाने की दिशा में बड़े कदम की तैयारी में केंद्र
’>>केंद्र सरकार ने इस मुद्दे पर शुरू की राज्यों के साथ व्यापक चर्चा
’>>इससे छात्रों की प्रगति और उनके रुझानों को ट्रैक किया जा सकेगा
शैक्षणिक सत्र 2022-23 से ही लागू हो सकती है यह व्यवस्था
शिक्षा मंत्रलय ने इस पहल को शैक्षणिक सत्र 2022-23 से ही आयोजित करने की योजना बनाई है। इस पर अंतिम फैसला राज्यों की सहमति के बाद ही होगा। योजना के तहत स्कूली स्तर पर होने वाली परीक्षा वार्षिक परीक्षा की तरह ही होगी, लेकिन इसका आयोजन क्षेत्रीय स्तर पर होगा।
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