गोरखपुर, परिषदीय स्कूलों के बच्चों को फिलहाल पुरानी किताबों से ही काम चलाना पड़ेगा। कांवेंट विद्यालयों में जहां नए सत्र में बच्चों की पढ़ाई रफ्तार पकड़ चुकी है वहीं गोरखपुर जिले के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले साढ़े तीन लाख बच्चों को नई किताबों के लिए अभी चार माह और इंतजार करना होगा। किताबों में विलंब होने का कारण दिसंबर की जगह अप्रैल में टेंडर की प्रक्रिया होना बताया जा रहा है।
विभागीय सूत्रों के मुताबिक टेंडर की प्रक्रिया पूरी होने के बाद सभी किताबें तीन महीने में और वर्कबुक चार महीने में जिलों को भेजी जाती है। टेंडर के बाद भी इस बार किताबें अगस्त के पहले सप्ताह और वर्कबुक सितंबर के पहले सप्ताह तक ही बच्चों को मिलने की उम्मीद है।
प्राथमिक विद्यालय आराजी बसडीला के प्रधानाध्यापक आशुतोष कुमार सिंह ने बताया कि फिलहाल बच्चों को पुरानी किताबों से पढ़ाया जा रहा है। हालांकि पुरानी किताबें भी सभी बच्चों को उपलब्ध नहीं हो पाईं है। नई किताबें आने के बाद भी पढ़ाई रफ्तार पकड़ेगी। कंपोजिट विद्यालय कौड़ीराम प्रथम के सहायक अध्यापक प्रदीप कुमार कहते हैं कि समय से किताबें मिल जाती तो बच्चों का पठन-पाठन सुचारू रूप से चलता, क्योंकि बच्चें भी नई किताबों से पढ़ने में अधिक रुचि दिखाते हैं।
30 से 40 प्रतिशत बच्चों को ही मिली हैं पुरानी किताबें: शैक्षिक सत्र 2022-23 शुरू होने से पहले निदेशक बेसिक शिक्षा ने नई किताबें छपकर आने तक बच्चों को पुरानी किताबें उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था। जिसके बाद बीएसए ने प्रधानाध्यापकों को उत्तीर्ण होकर अगली कक्षाओं में जाने वाले बच्चों से पुरानी किताबें लेकर नए बच्चों को देने को कहा था। इसको लेकर प्रधानाध्यापकों ने मेहनत भी किया। बावजूद इसके लिए सिर्फ 30 से 40 प्रतिशत बच्चों को ही पुरानी किताबें उपलब्ध कराई जा सकी।
बीएसए रमेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि शासन स्तर पर टेंडर की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। किताबें आते ही सत्यापन कराकर जल्द से जल्द बच्चों में वितरित करा दी जाएगी।