इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गैर राज्यों के महाविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर शैक्षणिक अनुभव को उत्तर प्रदेश के महाविद्यालय की सेवा में जोड़ने का निर्देश दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ ने डॉ. अनूप कुमार पांडेय की याचिका पर अधिवक्ता सीमांत सिंह को सुनकर दिया है। कोर्ट ने छत्तीसगढ़ के दो सरकारी महाविद्यालयों में प्राप्त शैक्षणिक अनुभव को याची की सेवा में जोड़कर उसे प्रोन्नति व वेतन वृद्धि आदि सभी लाभ देने का निर्देश दिया है। एडवोकेट सीमांत सिंह ने कोर्ट को बताया कि याची की नियुक्ति साकेत महाविद्यालय अयोध्या में असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर हुई है। इससे पूर्व वह छत्तीसगढ़ के दो सरकारी महाविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर फिजिक्स के पद पर अपनी सेवाएं दे चुका है। इस आधार पर याची कैरियर एडवांसमेंट स्कीम के तहत प्रमोशन व सीनियर स्केल पाने का अधिकारी है लेकिन निदेशक उच्च शिक्षा ने याची को यह लाभ देने से इनकार कर दिया है। उसका शैक्षणिक अनुभव नहीं जोड़ा जा रहा है। अधिवक्ता का कहना था कि 2018 के यूजीसी रेगुलेशन के अनुसार किसी भी राज्य के महाविद्यालय में किए गए शैक्षणिक कार्य को अन्य राज्य के महाविद्यालय की सेवा अवधि में जोड़ा जाएगा
जबकि उच्च शिक्षा निदेशालय के अधिवक्ता का कहना था कि यूजीसी रेगुलेशन 2010 और राज्य सरकार के शासनादेशों में ऐसी कोई शर्त नहीं दी गई है। याची के अधिवक्ता का कहना था कि 2010 के यूजीसी रेगुलेशन को 2018 के रेगुलेशन ने रिपील कर दिया है। कोर्ट ने याची को अन्य महाविद्यालयों में की गई सेवा अवधि को वर्तमान सेवा में जोड़े जाने का हकदार मानते हुए उसकी सेवा जोड़कर प्रोन्नति व सीनियर स्केल वेतनमान सहित लाभ देने का निर्देश दिया है।