लखनऊ, राज्य सरकार ने सरकारी विभागों में पदोन्नति को लेकर आने वाली बाधा दूर करते हुए 10 साल की जगह पांच साल की प्रविष्टियों पर पदोन्नति देने का फैसला किया है। नियुक्ति एवं कार्मिक विभाग के अपर मुख्य सचिव देवेश चतुर्वेदी ने शुक्रवार को इस संबंध में आदेश जारी कर दिया है।
इसके साथ ही वृहद दंड पर तीन साल पदोन्नति नहीं दी जाएगी और लघु दंड पर एक साल पदोन्नति नहीं दी जाएगी। अगर पहले दंड मिला है और पदोन्नति हो गई है तो आगे की पदोन्नति में इसका संज्ञान नहीं लिया जाएगा। शासनादेश के मुताबिक अंतिम पांच वर्षों का चयन वर्ष से ठीक पांच वर्ष पूर्व की अवधि के अभिलेखों को देखा जाएगा। उदाहरण के लिए चयन वर्ष 2021-2022 में यदि चयन 31 दिसंबर 2021 के पूर्व संपन्न होगा तो इसके लिए मुख्य रूप से वर्ष 2015-2016 से वर्ष 2019-2020 तक वार्षिक गोपनीय प्रविष्टियों आदि का संज्ञान लिया जाएगा।
31 दिसंबर 2021 के बाद संपन्न होने वाले चयनों के लिए मुख्य रूप से वर्ष 2016-2017 से वर्ष 2020-2021 तक की वार्षिक गोपनीय प्रविष्टियों व अन्य अभिलेखों आदि का संज्ञान लिया जाएगा। पांच वर्षों यानी 60 माह में 24 माह से अधिक की प्रविष्टियां पूर्ण न होने की दिशा में चयन आस्थगित किया जाएगा और अंतिम तीन वर्ष 36 माह में से 12 माह से अधिक की वार्षिक गोपीय प्रविष्टियां अपूर्ण अप्राप्त होने की दिशा में चयन आस्थगित किया जाएगा।
वेतन वृद्ध रोके जाने की दिशा में संबंधित कार्मिक को दंड आदेश पारित होने के बाद संपन्न होने वाले प्रथम तीन चयन वर्षों में अलग रखा जाएगा। लेकिन संबंधित कार्मिक के लिए पारित दंडादेश में यदि कोई नियत समयवधि अंकित नहीं है (एक या अधिक वर्षों के लिए संचयी प्रभाव से वेतन वृद्धि रोका जाना) तो उतने चयन वर्षों में संबंधित कार्मिक को अनुपयुक्त घोषित किया जाएगा। उस कार्मिक को तब तक पदोन्नति नहीं दी जाएगी जब तक दंड में उल्लेखित अवधि समाप्त न हो जाए। संबंधित कार्मिक रिक्तियों की उपलधता और ज्येष्ठता होने के बाद दो बार अनुपयुक्त किया जाएगा।
● कर्मचारी को लघु दंड पर एक साल तक पदोन्नति नहीं दी जाएगी
● अगर पदोन्नति हो गई है आगे इसका संज्ञान नहीं लिया जाएगा