कानपुर। आसमान छू रही महंगाई का असर बच्चों के खाने पर भी पड़ सकता है। तेल से लेकर गैस सिलेंडर तक के रेट में जबरदस्त वृद्धि की आंच प्राथमिक और उच्च प्राथमिक बच्चों के लिए तैयार किए जाने वाले मध्याह्न भोजन (मिड-डे मील) पर पड़ रही है। इसे तैयार करने के लिए कन्वर्जन कॉस्ट नहीं बढ़ाई जा रही है जबकि उपयोग होने वाली सामग्री की कीमतों में बेतहाशा बढ़ोतरी हो चुकी है। आलम यह है कि शिक्षकों को अपनी जेब से खर्च करना पड़ रहा है। एमडीएम के लिए गेहूं और चावल सरकार खुद देती है। शेष दाल, सब्जी, तेल, मसाले, गैस सिलेंडर आदि के लिए केंद्र और राज्य मिलकर कन्वर्जन कॉस्ट देते हैं। प्राइमरी के लिए 4.97 रुपये तो उच्च प्राथमिक में 7.45 रुपये प्रति छात्र की दर से भुगतान किया जाता है। प्राथमिक में प्रति छात्र 100 ग्राम और उच्च प्राथमिक में 150 ग्राम एमडीएम देने का नियम है। वर्ष 2004 से अब तक 15 बार कन्वर्जन कॉस्ट बदली जा चुकी है।
दूध का पैसा नहीं, फल के लिए चार रुपये : हर बुधवार बच्चों को दूध का वितरण किया जाता है लेकिन इसके लिए अलग से धनराशि नहीं मिलती। इसे भी कन्वर्जन कॉस्ट में शामिल कर दिया है। हर सोमवार, हर माह के दूसरे व अंतिम गुरुवार को फल का वितरण होता है जिसके लिए चार रुपये प्रति छात्र दिया जाता है।
बेतहाशा बढ़ गईं कीमतें : वर्ष 2020 के मुकाबले दूध 20 फीसदी महंगा हो गया। फलों में 30 फीसदी तक वृद्धि हो गई लेकिन केवल चार रुपये ही मिल रहे जिसमें एक केला तक मिलना मुश्किल है। तेल की कीमत में 100 फीसदी से ज्यादा वृद्धि हो गई। गैस सिलेंडर 800 से 960 रुपये में पहुंच गया। दालों की कीमतें भी 20-25 फीसदी बढ़ गईं।
● प्राथमिक में प्रति छात्र 100 ग्राम, उच्च में प्रति छात्र 150 ग्राम देने का नियम
● फल 30 फीसदी, दूध 20 अनाज 25 और तेल 100 फीसदी हो चुका महंगा
● अब तक 14 बार बदली जा चुकी कन्वर्जन कॉस्ट वर्तमान में पड़ रही भारी
एक अप्रैल 2020 को तय की गई थीं मध्याह्न भोजन के लिए नई दरें, प्राइमरी में 4.97 रुपये तो आठवीं के लिए 7.45 रुपये प्रति छात्र, शिक्षकों को अपने जेब करनी पड़ रही ढीली
यह नीतिगत मामला है। शासन स्तर पर कन्वर्जन कॉस्ट को लेकर विचार चल रहा है। संभव है कोई निर्णय लिया जाए। जहां तक शत-प्रतिशत उपस्थिति पर भुगतान की बात है तो केवल 60 फीसदी भुगतान का ही नियम है।
- डॉ. पवन तिवारी, बीएसए
महंगाई को देखते हुए कन्वर्जन कॉस्ट बढ़ाई जाए। क्वालिटी मेनटेन करने के लिए शिक्षकों को अभी अपनी जेब से खर्च करना पड़ रहा है। फलों के लिए भी धनराशि बढ़ाई जाए। शासन को कई बार पत्र लिखा है।
- योगेंद्र सिंह, जिलाध्यक्ष, उत्तर प्रदेशीय जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ
मोहम्मद आसिम सिद्दीकी
बच्चों को फल और दूध वितरण
खाने का मेन्यू
● सोमवार: सब्जी-रोटी
● मंगलवार: दाल-चावल
● बुधवार: तहरी
● गुरुवार: रोटी-दाल
● शुक्रवार: तहरी जिसमें सोयाबीन हो
● शनिवार: सब्जी-चावल अथवा सोयाबीन मिक्स
● दूध : प्रत्येक बुधवार 150 मिली (प्राथमिक), 200 मिली (उच्च प्राथमिक)
● फल : प्रत्येक सोमवार, माह का दूसरा और अंतिम गुरुवार