बिजनौर, नगर क्षेत्र के स्कूलों में गुरुवार को मिड-डे मील में घटिया गुणवत्ता की कच्ची रोटियां दी गईं। रोटियां इतनी खराब थीं कि जरा सा मोड़ने पर बासी रोटी की तरह टूट रही थीं। अधिकांश बच्चों ने रोटी नहीं खाई और केवल दाल खाकर काम चलाया। अनेक बच्चे रोटियां स्कूलों में ही छोड़कर चले गए। लापरवाही के बाद बदला गया था एनजीओ
गांवों के स्कूलों में मिड डे मील की व्यवस्था ग्राम प्रधान और शहरों में एनजीओ के हाथ में रहती है। सप्ताह के मेन्यू के अनुसार बच्चों को मिड-डे मील परोसा जाता है। शहरों में बच्चों को मिड-डे मील देने में पिछले माह एनजीओ ने लापरवाही बरती थी और खाने के मेन्यू से दूध आदि तक गायब कर दिया था। साथ ही खाना भी घटिया गुणवत्ता का दिया जा रहा था, तब बीएसए जयकरण यादव ने मामले में सख्ती दिखाते हुए संबंधित एनजीओ को हटा दिया था और दूसरी एनजीओ को रोटी परोसने की जिम्मेदारी दी थी।
जरा सा मोड़ने टूट रही थीं रोटियां
मेन्यू के अनुसार सोमवार व गुरुवार को बच्चों को दाल व अन्य सब्जी के साथ तीन से चार रोटियां दी जाती हैं। गुरुवार को बच्चों को कच्ची रोटियां दी गईं। रोटी जरा सा मोड़ने पर ही टूट रही थीं। स्वादहीन होने के कारण अनेक बच्चों ने रोटी नहीं खाई और केवल दाल खाकर काम चलाया। कई बच्चों ने रोटी की गुणवत्ता खराब होने के कारण दाल भी नहीं खाई। इस कारण उन्हें भूखे रहना पड़ा। कई जगह शिक्षकों ने इसकी शिकायत खाना बांटने आए लोगों से भी की। विभागीय कर्मचारियों के अनुसार रोटी बनाने का काम मशीन से होता है। मशीन से रोटी बनाने में लापरवाही बरती जा रही है और कच्ची रोटी ही बच्चों को परोस दी जा रही है। बीएसए जयकरण यादव ने बताया कि मामले की जांच होगी। इसके बाद कार्रवाई की जाएगी।