मथुरा में एरियर भुगतान बिल पास करने के लिए तीन हजार रुपये रिश्वत के रूप में ले रहे वित्त एवं लेखाधिकारी बेसिक के लेखाकार को एंटी करप्शन टीम ने गुरुवार को रंगेहाथ गिरफ्तार कर लिया। एंटी करप्शन की इस कार्रवाई से कार्यालय में भगदड़ मच गई। कई अन्य लिपिक सीटों को छोड़कर इधर-उधर भाग गए। पकडे़ गए लेखाकार के खिलाफ थाना हाईवे में रिपोर्ट दर्ज कराई गई है। आरोपी को न्यायालय में पेश करने के लिए एंटी करप्शन टीम मेरठ ले गई।
सिविल लाइंस क्षेत्र स्थित जिला पंचायत कार्यालय परिसर में बेसिक शिक्षा विभाग के वित्त एवं लेखाधिकारी का कार्यालय संचालित है। यहां वित्त एवं लेखाधिकारी के साथ लिपिक बेसिक शिक्षा विभाग की वित्तीय गतिविधियों का संचालन करते हैं। बृहस्पतिवार को दोपहर करीब 12:30 बजे अचानक एंटी करप्शन टीम ने छापा मारा।
थाना हाईवे में दर्ज हुई रिपोर्ट
एरियर, वेतन आदि दायित्व संभाले लेखाकार कैलाश चंद्र को तीन हजार रुपये रिश्वत के रूप में लेते हुए दबोच लिया। इस कार्रवाई से कार्यालय में खलबली मच गई। अनेक लिपिक और शिक्षक, पेंशनर्स इधर-उधर हो गए। एंटी करप्शन टीम आरोपी कैलाश चंद्र को पकड़ कर थाना हाईवे ले गई। यहां आरोपी के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई गई है।
इस मामले में एंटी करप्शन टीम आगरा के प्रभारी निरीक्षक शिवराज सिंह ने बताया कि सहायक अध्यापक बनैसिंह की शिकायत पर यह कार्रवाई की गई है। बताया गया कि बनैसिंह का 2018-19 का एरियर लंबित चल रहा था। फरवरी माह में पत्रावली आने के बावजूद एरियर का बिल नहीं बनाया गया। बनैसिंह से इसके लिए लेखाकार कैलाश 5 हजार रुपये की मांग की, दो हजार रुपये देने के बावजूद भुगतान नहीं हो सका।
इस पर एंटी करप्शन से शिकायत की, जिसकी अदायगी के दौरान एंटी करप्शन टीम ने कैलाशचंद्र सारस्वत को रंगेहाथ गिरफ्तार कर लिया। इंस्पेक्टर शिवराज सिंह ने बताया कि रिश्वतखोर लेखाकार को मेरठ न्यायालय में पेश किया जायेगा। हालांकि वित्त एवं लेखाधिकारी राहुल यादव ने इस घटनाक्रम से अनभिज्ञता जाहिर की है।
मुख्य लिपिक की भी हो चुकी है गिरफ्तारी
बेसिक शिक्षा में रिश्वत का खेल नया नहीं है। इससे पहले बीएसए कार्यालय के मुख्य लिपिक कुंजबिहारी की गिरफ्तारी भी इसी तरह हो चुकी है। दरअसल, बेसिक शिक्षा से जुड़े वित्त एवं लेखाधिकारी कार्यालय, बीएसए कार्यालय और खंड शिक्षाधिकारी कार्यालय में शिक्षक और शिक्षणेतर कर्मचारियों के वेतन, एरियर, पेंशन संबंधी लंबित पत्रावलियों के समय पर निस्तारण न होने की शिकायतें आम हो गई हैं।
आए दिन परेशान शिक्षक डीएम और बीएसए से शिकायत करते रहते हैं। यहां तक कि एंटी करप्शन द्वारा पकडे़ शिक्षक की कई शिकायत डीएम और बीएसए से की गईं थीं लेकिन स्थिति में कोई सुधार न होने पर तंग आए शिक्षक ने एंटी करप्शन की मदद ली।