लखनऊ: विधान परिषद में शुक्रवार को शिक्षामित्रों का मामला फिर गूंजा। समाजवादी पार्टी ने शिक्षामित्रों को स्थायी करने पर सदन की कार्यवाही रोक कर चर्चा की मांग की। सरकार के जवाब पर संतुष्ट न होते हुए सपा सदस्यों ने वॉकआउट किया।सपा विधायक आशुतोष सिन्हा ने कहा कि शिक्षामित्रों की समस्या के समाधान के लिए भाजपा ने 2017 के अपने संकल्प पत्र में वायदा किया था लेकिन कुछ नहीं हुआ। उन्हें मनरेगा के कुशल श्रमिक से भी कम मानदेय मिलता है। सुप्रीम कोर्ट ने समान काम, समान वेतन का आदेश दिया है लेकिन उसका निर्धारण सरकार नहीं कर रही। डा मान सिंह यादव व लाल बिहारी यादव ने कहा कि 5000 से ज्यादा शिक्षामित्र अपनी जान गंवा चुके हैं। सपा सरकार ने इन्हें नियमित किया था और ग्रामीण क्षेत्रों में 28528 और शहरी क्षेत्रों में 29878 रुपये भुगतान किया गया। इन्हें 10 हजार रुपये वह भी 11 महीने के लिए दिया जाता है।नेता सदन स्वतंत्र देव सिंह ने जवाब दिया कि भाजपा सरकार ने इनका मानदेय 3500 से बढ़ाकर 10000 रुपये किया है। हम शिक्षामित्रों की समस्या को लेकर गंभीर हैं। सरकार का दायित्व है कि किसी के साथ अन्याय न हो। उन्होंने कहा कि सपा ने इन्हें नियमित करते समय नियमों का ध्यान नहीं रखा, यही कारण है कि इनकी भर्ती रद्द कर दी गई।
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