नई शिक्षा नीति में हमारी स्थिति दिहाड़ी मजदूर पैदा करने की होगी। उच्च शिक्षा में करीब 50 हजार संस्थाएं हैं, जो 2032 तक घटकर महज 12,300 रह जाएंगी। प्राथमिक और सार्वजनिक शिक्षा में धन की कटौती की जा रही है। शिक्षा के निजीकरण का सबसे खराब असर गरीबों पर पड़ेगा।
इससे अमीर गरीब के बीच खाई और गहरी होगी। ये बातें प्रो. प्रणय कृष्ण ने शारदा देवी शिक्षक सम्मान के मौके पर आयोजित आज के दौर में शिक्षा की चुनौतियां विषय पर बोलते हुए कहीं। यह कार्यक्रम सेंट जोसफ कॉलेज के होगन हाल में संपन्न हुआ। शारदा देवी शिक्षक सम्मान 2020 और 2021 का यह संयुक्त आयोजन था क्योंकि कोविड के कारण दो वर्ष यह आयोजन संभव नहीं हो सका था। प्रो. चौथीराम यादव को 2020 तथा प्रो. राजेंद्र कुमार को 2021 के शिक्षक सम्मान से सम्मानित किया गया। प्रो. चौथीराम यादव ने कहा कि शिक्षक होना बड़ी बात है, उससे भी बड़ी बात है मनुष्यता और यही सबसे बड़ी पूंजी है। प्रो. राजेंद्र कुमार ने कहा कि मुझे सम्मान शब्द बहुत संकोच में डालता है। अध्यापक ऐसा हो पाता कि वह सबके लिये प्रेरणा बन सकें। समारोह का आरम्भ संध्या नवोदिता के स्वागत वक्तव्य से हुआ। कार्यक्रम में विशिष्ट वक्ता प्रो. आशीष त्रिपाठी और डा. संजय श्रीवास्तव ने भी विचार व्यक्त किए। अध्यक्षता वरिष्ठ संपादक जीपी मिश्र ने की। डा. पदमा सिंह, डा. बसंत त्रिपाठी और डा. मनोज कुमार सिंह, इशिता सोनी मौजूद रहीं। संचालन डा. लक्ष्मण प्रसाद गुप्त ने किया।