लखनऊ। सेवानिवृत्ति आयु का विकल्प न लेने और सेवाकाल में ही आकस्मिक जान गंवाने वाले परिषदीय स्कूलों के शिक्षकों की रुकी ग्रेच्युटी का भुगतान करने की तैयारी शासन स्तर पर हो रही है। इसमें अधिकतर मामले कोविड काल के हैं। कई दिवंगत शिक्षकों के परिजनों ने उच्च न्यायालय की शरण ली थी। न्यायालय ने ब्याज सहित ग्रेच्युटी भुगतान के आदेश दिए हैं। इसी क्रम में अब जिलों से ब्योरा जुटाया जा रहा है। परिजनों को कितना भुगतान करना होगा, इसकी जानकारी मांगी गई है।
इस बाबत बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव व बेसिक शिक्षा निदेशक की ओर से जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों व मंडलीय सहायक शिक्षा निदेशक (बेसिक) को पत्र जारी किया गया है। इसमें बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों व गैर सरकारी सहायता प्राप्त जूनियर हाईस्कूलों के सेवाकाल में दिवंगत शिक्षकों के आश्रितों की जानकारी मांगी गई है। अधिकारियों के अनुसार ये वे शिक्षक हैं जिन्हें विकल्प पत्र भरना था कि वे 60 वर्ष पर सेवानिवृत्ति चाहते हैं या फिर 62 वर्ष तक सेवा में बढ़ोत्तरी चाहते हैं। ये विकल्प भरे बिना ही कई शिक्षकों का खासकर कोविड काल में निधन हो गया। ऐसे में विकल्प न भरा होने के कारण उनकी ग्रेच्युटी नहीं मिली। इस पर शिक्षकों के परिजनों ने अदालत की शरण ली। अब शासन ने इसके भुगतान के लिए सभी जिलों से 60 वर्ष की आयु से पूर्व आकस्मिक मृत्यु की दशा में ग्रेच्युटी भुगतान संबंधी प्रकरणों के याचीगणों की संख्या पूछी है। साथ ही पूछा गया है कि कुल कितनी राशि तत्काल भुगतान करने की आवश्यकता होगी। अधिकारियों के अनुसार ब्योरा आते ही भुगतान प्रक्रिया तय की जाएगी।