लखनऊ, । प्रदेश के अनुदानित व मान्यता प्राप्त मदरसों में कोरोना काल के दो वर्षों में हुई नियुक्तियों की जांच करवाई जाएगी। यह बात बुधवार को हुई प्रेसवार्ता में प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री धर्मपाल सिंह ने कही। उन्होंने कहा कि उस दौरान यह नियुक्तियां नहीं होनी चाहिए थीं। इसके साथ ही उन्होंने महाराजगंज के सिसवा बाजार स्थित मदरसा अताउर रसूल में चार शिक्षकों के मामले की शासन स्तर से जांच करवाने की बात कही है।
इन चार शिक्षकों को अनियमितता के मामले में हटाने और हाईकोर्ट से न्याय न मिलने के बावजूद शासन स्तर से की गई उनकी बहाली और 2011 से फरवरी 2022 तक उनके वेतन भत्ते आदि का कुल 2 करोड़ 72 लाख 56 हजार 926 रुपये का भुगतान करवाने के मामले को अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री ने गम्भीरता से लिया है।
उन्होंने कहा कि प्रकरण की उन्हें जानकारी है और कल ही वह विभाग से इस मामले की फाइल मंगवाकर अध्ययन कर उचित कार्रवाई के निर्देश जारी करेंगे। बताते चलें बीती 22 मई को हिन्दुस्तान ने इस बारे में समाचार प्रकाशित किया था। उसके बाद उ.प्र.मदरसा शिक्षा परिषद के रजिस्ट्रार जगमोहन सिंह ने स्पष्ट किया था कि मदरसे के प्रबंधक ने चार शिक्षकों को अवैध रूप से बर्खास्त कर दिया था। इस बाबत शासन से जांच वर्ष 2011 में जांच करवाई गई, जांच रिपोर्ट में पाया गया कि शिक्षकों की बर्खास्तगी अवैध है। इसलिए मदरसा प्रबंधक आशिक अली राईनी के खिलाफ एफआईआर के आदेश हुए।