केरल हाईकोर्ट ने केंद्रीय विद्यालय संगठन (केवीएस) की ओर से दाखिला शुरू होने के बाद दिशानिर्देशों में बदलाव को मनमाना अवांछित व अनुचित बताते हुए इसे लोकहित के खिलाफ बताया। कोर्ट ने कहा, बच्चे खिलौना नहीं हैं, जिन्हें प्रशासकों की दया पर छोड़ दिया जाए।
जस्टिस राजा विजयराघवन वी ने कहा, राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 ऐसी नीतियों को लागू करने के लिए प्रशंसनीय हो सकते हैं मगर सरकार को यह ध्यान में रखना चाहिए कि दूसरों के अधिकारों की रक्षा करने में छोटे बच्चों के अधिकारों का हनन नहीं होना चाहिए। अदालत ने कहा, दिशानिर्देशों को संशोधित करते समय यह सुनिश्चित करना चाहिए था कि छात्र, जो कि यह उम्मीद कर रहे थे कि प्रवेश सुरक्षित कर लेंगे, उन्हें बाहर नहीं निकाला जाना चाहिए था। मामले में छह साल और सात साल के दो बच्चों ने नए नियमों का हवाला देते हुए दाखिले से वंचित किए जाने के बाद अदालत का रुख किया था। केवीएस ने 2022-23 शिक्षा सत्र के लिए संशोधित निर्देश जारी किए थे।