उत्तर प्रदेश में प्राथमिक शिक्षा विभाग और विशेष कार्य बल (STF) की जांच में पिछले तीन सालों में फर्जी दस्तावेजों का उपयोग करके भर्ती किए गए 2,494 शिक्षकों की पहचान की गई है. एसटीएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दावा किया कि ये सिर्फ एक छोटी सी संख्या हो सकती है, अगर पूरे राज्य में अच्छी तरह से जांच की जाए तो ऐसे फर्जी शिक्षकों की संख्या हजारों तक पहुंच सकती है.
तब से अब तक शिक्षा विभाग में कार्यरत फर्जी शिक्षकों की पहचान करके FIR दर्ज करने, नौकरी से निकालने और वेतन वसूली सहित जैसी कार्रवाईयां चल रही हैं. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, जांच के दौरान 2,347 प्राथमिकी दर्ज की गई है और फर्जी पाए गए 2,461 शिक्षकों को बर्खास्त कर दिया गया है.
नाम न छापने की शर्त पर राज्य के शिक्षा विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “हमने डेटाबेस बनाया है और हमारे एचआर पोर्टल पर 10वीं से 12वीं तक की सभी मार्कशीट, बैचलर ऑफ एजुकेशन (BEd) और शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) तक अपलोड कर दी है. जिले में हमारी समिति ऐसे कई मामलों की जांच कर रही है.”
रिकॉर्ड्स का डिजिटलीकरण
जून 2020 में, यूपी सरकार को पता चला था कि “अनामिका शुक्ला” नाम से कई महिलाओं की सरकारी स्कूलों में बतौर शिक्षक भर्ती हुई है. बाद में, राज्य के कई जिलों से ऐसे शिक्षकों को गिरफ्तार किया गया. इसी के बाद से शिक्षक भर्ती घोटाले ने जोर पकड़ना शुरू कर दिया था.
शिक्षा विभाग ने एचआर पोर्टल पर अपने कर्मचारियों के रिकॉर्ड को डिजिटाइज करने की कोशिशें तेज कर दी हैं. यूपी बेसिक शिक्षा परिषद के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, एचआर पोर्टल पर 5,59,144 शिक्षकों की नियुक्ति और शैक्षिक योग्यता से संबंधित रिकॉर्ड, दस्तावेज अपलोड किए गए हैं. डिजिटलीकरण के अलावा, इसका उद्देश्य गलत तरीकों से भर्ती होने वाले फर्जी ‘शिक्षकों’ को बाहर निकालना है. साथ ही इसकी मदद से सभी के दस्तावेजों की जांच की जाएगी
अगर शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की मानें, तो रिकॉर्ड्स के डिजिटलीकरण के बाद कई शिक्षक खुद ही इस्तिफा दे रहे हैं या नौकरी छोड़ कर जा रहे हैं. एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा,
“जब हमने उनके शिक्षा रिकॉर्ड ऑनलाइन अपलोड करने के आदेश जारी किए, तो कुछ लोगों ने नौकरी छोड़ दी और बाद में वे फर्जी पाए गए. उनके खिलाफ भी FIR दर्ज की गई है.”
सिस्टम में बड़े घोटाले की ‘बू’
इस फर्जीवाड़े से सिस्टम में बड़े घोटाले की बू आ रही है. भर्ती के दौरान काउंसलिंग के समय, सफल उम्मीदवारों को अपने शैक्षिक दस्तावेज जमा करने होते हैं. यूपी में एक शिक्षक ने कहा, “बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA) वेरिफिकेशन के लिए मार्कशीट की कॉपी के साथ संबंधित बोर्डों और विश्वविद्यालयों को पत्र भेजता है. वेरिफिकेशन के बाद मूल मार्कशीट शिक्षकों को वापस कर दी जाती है, जिसमें कभी-कभी 2-3 साल तक का समय लग जाता है.”
हालांकि, एक वेरिफिकेशन प्रोसेस होने के बावजूद, चल रही जांच से पता चलता है कि सिस्टम में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हुई है.
एसटीएफ ने 227 ‘फर्जी’ शिक्षकों के दस्तावेजों की ताजा जांच में पाया कि 90 फीसदी से ज्यादा ऐसे शिक्षकों ने या तो किसी और के दस्तावेज खुद के रूप में पेश किए या योग्यता मांगों को पूरा करने के लिए जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल किया.
धोखाधड़ी के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले अन्य साधनों में फर्जी जाति प्रमाण पत्र, स्वतंत्रता सेनानी प्रमाण पत्र, विकलांगता प्रमाण पत्र और स्थानांतरण आदेश शामिल थे.
नाम न छापने की शर्त पर, जांच से जुड़े एसटीएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “अगर जांच किए गए शिक्षकों के सैंपल्स और उनमें से फर्जी शिक्षकों को बाहर करने पर विचार किया जाए, तो ऐसे फर्जी शिक्षकों का अनुमानित आंकड़ा हजारों में होगा अगर विभाग के सभी शिक्षकों को क्रॉस-चेक किया जाए तो.”
STF एडीजी ने बेसिक शिक्षा अधिकारियों की खिंचाई की
कार्रवाई के क्रम में, जिन शिक्षकों को जांच में फर्जी चिह्नित किया जा रहा है, वे राहत के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटा रहे हैं और निलंबन, बर्खास्तगी के खिलाफ स्टे ऑर्डर प्राप्त कर रहे हैं. इसके चलते फर्जी शिक्षकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने में कथित रूप से देरी हो रही है.
30 मई 2022 का एक गोपनीय पत्र, जो बाद में लीक हो गया था, उसमें यूपी एसटीएफ के अतिरिक्त महानिदेशक अमिताभ यश ने 176 शिक्षकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने में देरी का मुद्दा उठाया था. पत्र में उन्होंने लिखा था, “ऐसा लगता है कि संबंधित अधिकारी ऐसे शिक्षकों को और समय दे रहे हैं, इससे सबूत नष्ट होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता.”
प्राथमिक शिक्षा विभाग में लीक की ओर इशारा करते हुए, यश ने कहा कि एसटीएफ का एक गोपनीय पत्र मथुरा के चार शिक्षकों को लीक किया गया, जिन्होंने इसका इस्तेमाल अदालत से स्टे ऑर्डर लेने के लिए किया.
एडीजी ने पत्र में कहा, “यह उचित होगा कि प्राथमिक शिक्षा विभाग एसटीएफ के साथ को-ऑर्डिनेट करके हाईकोर्ट में एक हलफनामा दायर करके स्टे ऑर्डर को रद्द करने का आवेदन करे.”
पत्र में अंतिम बिंदु में उन्होंने प्राथमिक शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की निगरानी में एक कमेटी बनाने पर भी जोर दिया. ये कमेटी हाईकोर्ट से राहत प्राप्त करने वाले फर्जी शिक्षकों के मामलों की जांच करेगी और उनके स्थगन आदेश को रद्द करवाएगी.