बॉम्बे उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि यदि कोई महिला शिक्षित है तो उसे नौकरी के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। न्यायालय ने एक व्यक्ति द्वारा पत्नी को गुजारा भत्ता देने के एक अदालत के आदेश के खिलाफ याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की।
न्यायमूर्ति भारती डांगरे की एकल पीठ ने कहा, महिला के पास ‘काम करने या घर पर रहने का विकल्प’ है, भले ही उसके पास शैक्षिक डिग्री हो और वह योग्य हो। उन्होंने कहा, हमारे समाज ने अभी तक यह स्वीकार नहीं किया है कि घर की महिला को योगदान (आर्थिक रूप से) देना चाहिए। यह काम करने के लिए एक महिला की पसंद है। उसे काम पर जाने के लिए लिए सिर्फ इसलिए मजबूर नहीं किया जा सकता कि वह स्नातक है। न्यायमूर्ति भारती डांगरे ने कहा, आज मैं इस अदालत का न्यायाधीश हूं। मान लीजिए कल मैं किसी वजह से घर पर बैठ जाती हूं। क्या आप यह कहेंगे कि मैं न्यायाधीश बनने के योग्य हूं और मुझे घर पर नहीं बैठना चाहिए?