इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि रिक्त पदों पर भर्ती के लिए ठीक से विज्ञापित नहीं किया जाना संभावित उम्मीदवारों के मूल अधिकार का हनन है। यह उचित प्रक्रिया का पालन न किया जाना है। मामले में एकल पीठ के आदेश को सही करार देते हुए रवि प्रताप की ओर से दाखिल विशेष याचिका को खारिज कर दिया गया। यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने दिया है।
याची ने कोर्ट को बताया कि विद्यालय प्रबंधन समिति ने लिपिक भर्ती का विज्ञापन एक स्थानीय समाचार पत्र में प्रकाशित कराया था। जिसके बाद उसे चयन समिति ने लिपिक पद पर विधिवत नियुक्त किया था किंतु जिला विद्यालय निरीक्षक ने इस आधार पर वित्तीय स्वीकृति प्रदान करने से मना कर दिया था कि लिपिक भर्ती का विज्ञापन कम प्रसारण वाले समाचार पत्र में प्रकाशित कराया गया है। जिसे चुनौती देते हुए उसके द्वारा याचिका योजित की गई थी। किंतु एकल जज की पीठ ने विज्ञापन को अवैध मानते हुए याचिका को खारिज कर दी थी।
याची ने विशेष याचिका दाखिल की। मुख्य न्यायमूर्ति की अगुवाई वाली दो जजों की खंडपीठ ने कहा कि समाचार पत्र का व्यापक प्रसारण नहीं है। जिसके कारण इस पद के अन्य भावी उम्मीदवारों को समान अवसर नहीं मिल पाया। जिससे संभावित उम्मीदवारों के भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 एवं 16 का उल्लंघनहै