आमदनी इतनी कि इन्कम टैक्स देना पड़ रहा है। मगर मुफ्त के सरकारी छह हजार रुपये सालाना मिल रहे हैं तो छोड़े क्यों जाएं। इसी लोभ ने प्रदेश के 2 लाख 35 हजार किसानों को ‘दागी’ बना दिया।
वित्तीय वर्ष 2017-18 और 2018-19 के आयकर रिटर्न खंगाले गए तो उत्तर प्रदेश से अब तक कुल 2 लाख 35 हजार किसान ऐसे मिले जिन्होंने इन्कम टैक्स अदा किया और किसान सम्मान निधि भी हासिल की। ऐसा तब किया गया जबकि किसान सम्मान निधि के नियम व शर्तों में यह स्पष्ट किया गया है कि किसान सम्मान निधि उसी किसान को मिलेगी जो भारत का नागरिक होगा, जिसकी खेती होगी और जो आयकरदाता नहीं होगा। अब इन सभी को किसान सम्मान निधि योजना में अपात्र मानते हुए इनसे निधि की अब तक प्राप्त की गई सारी राशि वसूली जा रही है। इन्हें नोटिस जारी किए गए हैं।
प्रदेश के कृषि विभाग से मिली जानकारी के अनुसार एक लाख सात हजार ऐसे लाभार्थी किसान भी किसान सम्मान निधि पाने के अपात्र माने गए जो मौके पर हुई जांच में आधार, ई-मेल व मोबाइल फोन नम्बर गलत पाए जाने पर इस योजना की पात्रता के योग्य नहीं मिले। इस योजना के लाभार्थी रहे 77 हजार किसानों का अब तक देहांत हो चुका है और उनके आश्रितों ने इस योजना का लाभ पाने व अन्य वजहों के लिए अपनी वरासत अभी तक दर्ज नहीं करवाई है।
कृषि निदेशालय की ओर से सभी जिला कृषि अधिकारियों और राजस्व अधिकारियों को आदेश दिए गए हैं कि वह ऐसे सभी अपात्र किसानों को नोटिस जारी करें और अब तक उन्होंने किसान सम्मान निधि योजना के तहत जितनी भी राशि हासिल की है उसे समय से वापस करें। अब लेखपाल ऐसे किसानों को नोटिस देकर उनसे किसान पोर्टल के जरिये हासिल की गई राशि वापस करवाने के लिए इन अपात्र घोषित किसानों के घर-घर जा रहे हैं।