लखनऊ : प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों को पिछले वर्ष मान्यता देने के 666 प्रकरण बिना किसी कारण निरस्त हो चुके हैं। इसमें विभाग अभी अधिकारियों की जिम्मेदारी तय नहीं कर पाया है, इसी बीच 1325 नए विद्यालयों को मान्यता देने के प्रकरण बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) व खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) कार्यालयों में लटकने का मामला सामने आया है। विभाग ने इन मामलों को 15 जून तक निस्तारित करने का आदेश देते हुए देरी होने पर जवाब-तलब किया है।
बेसिक शिक्षा विभाग हर वर्ष नए शैक्षिक सत्र के पहले प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों को नियम व शर्तें पूरी करने पर मान्यता निर्गत करता है। साथ ही नए सिरे से मान्यता के लिए आवेदन मांगे जाते हैं। स्कूलों को मान्यता देने के लिए एक अप्रैल से पोर्टल पर आनलाइन आवेदन लिए गए।
इस दौरान करीब 1400 स्कूलों ने मान्यता के लिए आवेदन किया। इन प्रकरणों को एक माह में हर हाल में निस्तारित करने का नियम है। बेसिक शिक्षा विभाग ने 31 मई को इसकी रिपोर्ट निकाली तो वह हैरान करने वाली थी, क्योंकि 1325 प्रकरण कार्यालयों में ही लटके हैं।
मान्यता संबंधी प्रकरण जनहित गारंटी अधिनियम 2011 के तहत शामिल हैं जिनकी निगरानी मुख्यमंत्री कार्यालय नियमित कर रहा है। इसके बाद भी बेसिक शिक्षा अधिकारी व खंड शिक्षा अधिकारी समय पर काम नहीं कर रहे।
हालत यह है कि बीएसए प्रकरण आगे नहीं बढ़ा रहे व बीईओ निरीक्षण करने नहीं जाते। संयुक्त शिक्षा निदेशक बेसिक गणोश कुमार ने मंडलीय सहायक शिक्षा निदेशक व बेसिक शिक्षा अधिकारियों को भेजे आदेश में लिखा है कि ये स्थिति ठीक नहीं। जिलों में तय समय में कार्यवाही नहीं की जा रही है। लंबित प्रकरणों का निस्तारण 15 जून तक कराएं और देरी की वजहों की आख्या 16 जून तक ई-मेल पर भेजें।
लंबित स्तर >> विवरण >>>>>> संख्या
बीएसए >> आवेदनपत्र प्राप्त खंड शिक्षा अधिकारी को अग्रसारित नहीं >> 164
बीईओ >>खंड शिक्षा अधिकारी ने निरीक्षण किया लेकिन आख्या नहीं दी 727
बीएसए >>बीईओ की निरीक्षण आख्या के बाद समिति को अग्रसारित नहीं 107
समिति >>मान्यता देने वाली समिति ने कोई निर्णय नहीं लिया >> 327
’प्राथमिक, उच्च प्राथमिक स्कूलों को मान्यता देने के लिए लिए गए थे आनलाइन आवेदन
’बेसिक शिक्षा विभाग का 15 जून तक निस्तारित करने का निर्देश, देरी पर जवाब तलब
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