दो सालों के बाद योगी सरकार ने कर्मचारियों के लिए ट्रांसफर पॉलिसी जारी कर दी है. जल्द ही इसका शासनादेश कार्मिक विभाग जारी कर देगा. कैबिनेट में जिस ट्रांसफर पॉलिसी पर मुहर लगी है उसके मुताबिक अगले 15 दिनों में 30 जून तक सभी पात्र कर्मचारियों के तबादले कर दिये जाएंगे. ये पॉलिसी सिर्फ एक साल यानी इसी वित्तीय वर्ष के लिए जारी की गई है. अगले वित्तीय वर्ष के लिए अलग पॉलिसी जारी की जाएगी. इससे पहले सत्र 2018-19 में ट्रांसफर पॉलिसी लाई गई थी जो तीन सालों के लिए लागू की गई थी.
इस पॉलिसी के मुताबिक वे कर्मी पात्र होंगे जो एक ही जिले में तीन सालों से या फिर एक ही मंडल में सात सालों से तैनात होंगे. समूह क और ख के ऐसे सभी कर्मियों के अधिकतम बीस फीसदी ही ट्रांसफर किए जाएंगे. समूह ग और घ के ऐसे कर्मियों के सिर्फ 10 फीसदी ही ट्रांसफर किए जाएंगे. ये नियम पहले से चलता आया है जिसे इस पॉलिसी में भी रखा गया है. यानी समूह क और ख के कर्मियों में से ये देखा जाएगा कि कौन से कर्मी कितने ज्यादा वर्षों से एक ही जिले या मण्डल में तैनात है. इसी आधार पर अधिकतम बीस फीसदी की लिस्ट तैयार की जाएगी. इसी तरह समूह ग और घ कर्मियों में से 10 फीसदी लिस्ट इसी आधार पर तैयार की जाएगी. मतलब साफ है कि यदि इस कैप से ज्यादा कर्मी तीन सालों से एक ही जिले में तैनात होंगे तो सभी के तबादले नहीं हो सकेंगे.
ये है खास बात
इस पॉलिसी की एक खास बात ये है कि समूह ख और ग कर्मियों के तबादले में मेरिट बेस्ट ऑनलाइन ट्रांसफर का जिक्र किया गया है. प्रदेश सचिवालय राजपत्रित अधिकारी संघ के अध्यक्ष शिवगोपाल सिंह ने इसकी तारीफ की है. उन्होंने इसकी परिभाषा समझाते हुए कहा कि समूह ख और ग के कर्मियों के तबादले मेरिट के आधार पर होंगे. यानी जो कर्मी लंबे समय से ट्रांसफर के लिए जद्दोजहद कर रहे थे वैसे कर्मियों को मेरिट के आधार पर मनचाहे जिले में तैनाती मिल सकेगी. ऐसे कर्मचारियों को जिला चुनने का विकल्प पहले दिया जा सकता है. इनके चयन कर लेने के बाद बाकी कर्मचारियों की बारी आएगी. हालांकि इसपर और स्थिति तब स्पष्ट हो पायेगी जब कार्मिक विभाग पॉलिसी पर विस्तृत शासनादेश जारी करेगा.
एक खास बात ये भी है कि आकांक्षी जिले और बुन्देलखण्ड में जितने भी ट्रांसफर होंगे उन जगहों को सौ फीसदी दूसरे कर्मचारियों से भरा जाएगा. यूपी में 8 आकांक्षी जिले हैं बहराइच, बलरामपुर, चंदौली, चित्रकूट, श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर, सोनभद्र और फतेहपुर. इनके अलावा बुन्देलखण्ड में चित्रकूट, बांदा, महोबा, हमीरपुर, जालौन, झांसी और ललितपुर जिले हैं. नई ट्रांसफर पॉलिसी के मुताबिक इन जिलों में ट्रांसफर के बाद जितने पद खाली होंगे उतने पद इसी दौरान भरे जायेंगे. बाकी जिलों में ट्रांसफर के बाद कुछ पद खाली भी हो सकते हैं. यानी जो कर्मी इन जिलों से ट्रांसफर लेने को आतुर होंगे उनकी तो मुराद पूरी हो जाएगी लेकिन उनकी जगह दूसरे कर्मियों को इन जिलों में सेवा देने के लिए जाना होगा.
शासनादेश जारी होगा
कैबिनेट से मुहर लगने के बाद अब ट्रांसफर पॉलिसी पर कार्मिक विभाग शासनादेश जारी करेगा. इसके बाद अलग अलग विभाग ऐसे कर्मियों की सूची तैयार करेंगे. 30 जून तक ट्रांसफर के बाद अंतिम सूची जारी कर दी जाएगी. बता दें कि पिछले दो सालों से कोरोना के कारण नई ट्रांसफर पॉलिसी नहीं लाई गई थी. बहुत से कर्मी ऐसे हैं जिनका प्रमोशन हो गया है और ट्रांसफर ड्यू है. ऐसे कर्मियों के लिए जरूर सुकून की बात होगी.