बिजनौर। वित्तविहीन स्कूलों के शिक्षकों को अब मनमाने तरीके से हटाने से रोकने की तैयारी है। जिले के 275 से अधिक माध्यमिक विद्यालयों में 25 हजार से अधिक शिक्षक पढ़ा रहे हैं। शासन ने वित्तविहीन विद्यालयों के संसाधनों की ऑनलाइन मैपिंग करानी शुरू कर दी है।
शासन ने मैपिंग के लिए एक दर्जन से अधिक प्वाइंट तय किए हैं। विद्यालयों से जुड़ी हर छोटी बड़ी जानकारी मांगी है। जिले में कुल 387 राजकीय, अशासकीय सहायता प्राप्त तथा वित्त विहीन विद्यालय संचालित हैं। इनमें 282 वित्त विहीन विद्यालय हैं। राजकीय एवं अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों की संसाधनों की मैपिंग हो गई है। वित्तविहीन विद्यालयों पर आरोप लगते रहे हैं कि विद्यालय मैनेजमेंट कमेटी के चुनाव में पारदर्शिता नहीं बरतते हैं। शिक्षकों को मनमाने तरीके से निकाल देते हैं। डीआईओएस कार्यालय के अनुसार वित्तविहीन विद्यालयों को भवन, प्रयोगशालाओं, लाइब्रेरी, छात्र-छात्राओं की अलग-अलग संख्या, कार्यरत शिक्षकों की संख्या, मान्यता वर्ष, मान्यता प्राप्त विषय, शिक्षक कब से कार्यरत हैं। इसके साथ ही प्रबंध समिति की स्थिति, प्रबंध समिति का चुनाव कब हुआ। विद्यालय के पास भूमि, उसका क्या उपयोग हो रहा, विद्यालय के फंडों में धनराशि आदि करीब एक दर्जन बिंदुओं पर जानकारी मांगी गई है। सभी अपडेट सूचना बोर्ड की वेबसाइट पर अपलोड करनी है।
मान्यता वर्ष न लिखवाने पर लगेगा जुर्माना
शासन ने कथित फर्जी स्कूलों के संचालन पर लगाम लगाने के लिए निर्देश जारी किए हैं। माध्यमिक विद्यालयों को कुछ जानकारी विद्यालय की दीवार पर लिखवानी जरूरी है। जैसे विद्यालय को मान्यता किस वर्ष मिली है। हाईस्कूल व इंटर की अलग-अलग लिखवानी होगी। विद्यालय में कौन-कौन से विषय पढ़ाए जा रहे हैं। विषयों का मान्यता वर्ष। डिटेल दीवार पर नहीं लिखने पर मोटा जुर्माना भी हो सकता है। डीआईओएस प्रतिनिधि डॉ. निशांत कुमार ने बताया कि विद्यालयों को पूर्व में भी निर्देश दिए गए हैं। शासन की सख्ती को देखते हुए जल्द ही विद्यालयों में टीम भेजकर जांच कराई जाएगी।