प्रयागराज, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विश्वविद्यालयों से संबद्ध डिग्री कॉलेजों के शिक्षकों की सेवानिवृत्ति आयु 62 से बढ़ाकर 65 वर्ष करने के एकल पीठ के फैसले पर रोक लगा दी है।
यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल एवं न्यायमूर्ति विक्रम डी चौहान की खंडपीठ ने राज्य सरकार की विशेष अपील पर सुनवाई करते हुए दिया है। एकल पीठ ने राज्य सरकार को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के रेग्युलेशन के अनुसार तीन माह में निर्णय लेने का निर्देश दिया था, जिसकी वैधता को विशेष अपील में चुनौती दी गई थी। खंडपीठ ने याचिका करने वाले चंद्र मोहन ओझा व 21 अन्य शिक्षकों से अपील पर दो सप्ताह में जवाब मांगा है और राज्य सरकार को उसके बाद चार सप्ताह में प्रत्युत्तर शपथपत्र दाखिल करने को कहा है।
अपील में कहा गया है कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने 2010 में रेग्युलेशन संशोधित किया और अध्यापकों की सेवानिवृत्ति आयुसीमा 65 वर्ष कर दी, जिसे राज्य सरकार ने 31 दिसंबर 2010 को आंशिक रूप से अपनाया है। लेकिन जब तक विश्वविद्यालय अपनी परिनियमावली संशोधित नहीं कर लेते, इसका लाभ उच्च शिक्षण संस्थाओं के शिक्षकों को नहीं मिल सकता। कहा गया कि एकल पीठ ने सरकार से जवाब मांगे बगैर निर्देश दिया है इसलिए उसे रद्द किया जाए।