लखनऊ ,। नया शैक्षिक सत्र शुरू हुए ढाई महीने बीत गए हैं लेकिन अभी तक प्राइमरी स्कूल के विद्यार्थियों को दी जाने वाली निशुल्क पाठ्य पुस्तकें छपने नहीं जा पाई हैं। बेसिक शिक्षा अधिकारियों को अनुबंध करने के निर्देश जारी कर दिए गए हैं। लगभग दो करोड़ बच्चों के लिए पाठ्य पुस्तकें जिलों तक पहुंचने की अंतिम तारीख सितम्बर के पहले पखवाड़े तक रखी गई है।
बेसिक शिक्षा विभाग ने पाठ्य पुस्तक नीति के लिए प्रस्ताव बीते वर्ष दिसम्बर में ही भेज दिया था लेकिन विधानसभा चुनाव होने के कारण इसे मंजूरी देने में देरी हो गई। तकनीकी कारणों से किताबों का टेंडर भी एक बार रद्द हो चुका है। निदेशक सर्वेन्द्र विक्रम बहादुर सिंह ने पाठ्य पुस्तकों की सप्लाई अनुबंध की तारीख से 90 दिन और कार्य पुस्तिकाओं की सप्लाई की अंतिम तारीख 120 दिन के अंदर तय की है।
जिलों में किताबें पहुंचने के तीन दिन के अंदर सत्यापन किया जाएगा। सत्यापन के लिए समिति का गठन होगा। सत्यापन के बाद बीएसए सभी खण्ड शिक्षा अधिकारियों के माध्यम से संबंधित स्कूलों तक अविलम्ब किताबें पहुंचाएंगे। जिलों में किताबें पहुंचने पर उन्हें तुरंत वितरित कराया जाएगा। जिला मुख्यालयों पर एक कमेटी का गठन होगा जो प्राप्ति व भण्डारण के लिए उत्तरदायी होंगे।
स्कूलों तक की ढुलाई देगी सरकार: बीएसए खण्ड शिक्षा अधिकारियों के माध्यम से स्कूलों तक किताबों की ढुलाई कराएंगे और इस पर होने वाला खर्च पाठ्य पुस्तक वितरण मद से किया जाएगा। ढुलाई की दरें निर्धारित करने के लिए जिलाधिकारी की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया जाएगा। इस समिति में मुख्य विकास अधिकारी समेत क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी, बीएसए, सहायक वित्त व लेखाधिकारी भी होंगे।
अप्रैल में नहीं बंटती निशुल्क किताबें
लाख कोशिशों के बाद भी किताबें अप्रैल में सत्र की शुरुआत में नहीं पहुंच पा रही हैं। पूर्ववर्ती सपा सरकार के समय से इसकी कोशिश हो रही है। लेकिन शासन स्तर से पुस्तक नीति जारी होने में इतना विलम्ब हो जाता है कि पिछले कई वर्षों से किताबें जुलाई से पहले स्कूलों तक नहीं पहुंच पातीं। पिछले वर्ष भी जून में आदेश जारी किया गया था।