बहराइच। बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से संचालित प्राथमिक, उच्च प्राथमिक व प्रकार से गैर शैक्षणिक कार्य सौंपे जाते हैं उससे उनको परेशानी उठानी पड़ती है। साथ ही कक्षाओं का संचालन भी प्रभावित होता है। 16 जून से सभी प्राथमिक विद्यालय ग्रीष्मावकाश के बाद खुल जाएंगे। हालांकि, शिक्षकों के गैर शैक्षणिक कार्यों में व्यस्त रहने से कक्षाओं का संचालन कैसे होगा इस पर संशय की स्थिति बनी हुई है। प्राथमिक विद्यालयों में नौनिहालों को उत्कृष्ट शिक्षा प्रदान करने के लिए सरकार प्रयास कर रही है। इसके लिए डीबीटी, मिड-डे मील व छात्रवृत्ति समेत अन्य योजनाएं भी चलाई जा रही हैं, लेकिन विद्यालयों में तैनात शिक्षकों को गैर शैक्षणिक जिम्मेदारी सौंपे जाने से शैक्षणिक गतिविधियां प्रभावित हो रही हैं। शिक्षक भी गैर शैक्षणिक कार्यों के बोझ तले दबे नजर आ रहे हैं। अलग-अलग समय पर शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्यों के संपादन में जुटना में पड़ रहा है।
इन्हें खातों की फीडिंग, बच्चों की फोटो अपलोड करने, हाउस होल्ड सर्वे, स्कूल चलो अभियान रैली, अभिभावक संपर्क, प्रेरणा पोर्टल पर विवरण फीडिंग, अभिभावकों के बैंक खातों की पोर्टल पर फीडिंग, मिड-डे मील की व्यवस्था, कंपोजिट ग्रांट से खरीद, एसएमसी की बैठक, पीटीए की बैठक, रसोइयों का चयन, एसएमसी खाते का प्रबंधन, मिड डे मील के खाते का प्रबंधन, बोर्ड परीक्षा में ड्यूटी, बीएलओ ड्यूटी, जनगणना चुनाव ड्यूटी, संकुल व बीआरसी की बैठक, वित्तीय खातों का हिसाब करना, विद्यालय के अभिलेख तैयार करना, विद्यालय की रंगाई-पुताई, मिशन शक्ति के कार्यक्रम, अमृत महोत्सव कार्यक्रम, स्कूल रेडीनेस कार्यक्रम व शिक्षक डायरी भरने के साथ ही अन्य कार्य सौंपे जा रहे हैं। ऐसे में शिक्षक कई औपचारिकताओं व गैर सरकारी कार्यों के बीच उलझे रहते हैं। जिसका सीधा प्रभाव शैक्षणिक कार्यों पर पड़ता है.